सिरोही बकरी, राजस्थान की धरती का एक ऐसा रत्न है जिसने किसानों के जीवन में खुशहाली लाने का काम किया है। इस नस्ल की बकरियों को पालना किसानों के लिए सोने की चिड़िया साबित हो रहा है। इनकी बढ़ती मांग और अच्छी कीमत ने किसानों की आय में जबरदस्त इजाफा किया है।
दूध की धारा और मांस का खजाना
सिरोही बकरी दूध देने की क्षमता के लिए जानी जाती है। एक बकरी रोजाना 1 से 2 लीटर दूध दे सकती है। इनका वजन 60 से 70 किलो तक होता है, जिससे इनकी मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है। राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश और गुजरात में भी इनकी अच्छी खासी संख्या है। इनकी पहचान इनके भूरे रंग के धब्बों, चपटे और लटके हुए कानों और मुड़े हुए सींगों से आसानी से हो जाती है। दूध और मांस दोनों के लिए यह नस्ल बेहतरीन मानी जाती है।
कम मेहनत, ज्यादा मुनाफा
सिरोही बकरियों को पालना बहुत आसान है। इन्हें ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं पड़ती। ये लगभग हर तरह की घास-फूस खा लेती हैं, जिससे किसानों का काम काफी हद तक कम हो जाता है। कम निवेश में अधिक मुनाफा कमाने के लिए सिरोही बकरी एक बेहतरीन विकल्प साबित हो रही है।