कोबरा साप का भी जहर उतार देता है यह फल ?आदिवासी मानते हैं भगवान का दिया हुआ वरदान झारखंड की आदिवासी संस्कृति रहस्यों से भरी हुई है। यहां के आदिवासी आज भी ऐसे कई फलों, अनाजों और औषधियों के बारे में जानते हैं, जिनके इस्तेमाल से आम लोग वाकिफ तक नहीं हैं। जंगल में पाए जाने वाले फलों को आज भी आदिवासी दवा के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हीं में से एक ऐसा फल है, जिसके बारे में आदिवासियों में गहरी आस्था है। इस फल का नाम है – आषाढ़ी फल, जो ज्यादातर बारिश के मौसम में देखा जाता है।
बोकारो के जंगलों में छोटे-छोटे कांटेदार पेड़ों पर एक अनोखा फल मिलता है। इसे आम तौर पर लोग नहीं खाते हैं. लेकिन, आदिवासी इसे चमत्कारी फल मानते हैं। इस फल का वैज्ञानिक नाम मैना लैक्सीफ्लोरा (Mayna Laxiflora) है। स्थानीय भाषा में इसे आषाढ़ी फल कहा जाता है. वहीं, मराठी में इसे रानमेवा और अन्य भाषाओं में मुयना भी कहा जाता है। आदिवासियों की मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ी फल खाने से सांप और बिच्छू के काटने पर जहर का असर कम हो जाता है।
खेत पर जाने से पहले खाते थे ये फल
पंचोरा गांव के चतुर माझी ने बताया कि पुराने जमाने में लोग खेतों में काम करने जाने से पहले आषाढ़ी फल खाते थे। गांव वालों की मान्यता है कि इस फल को खाने से खेत में काम करते समय अगर सांप या बिच्छू काट ले तो जहर का असर कम होगा और समय रहते इलाज करवाने पर पीड़ित की जान बच सकती है। क्योंकि आदिवासी जंगलों में ज्यादा रहते हैं, इसलिए बारिश के मौसम में उनका सामना सांप-बिच्छुओं से अक्सर हो जाता है।
आयुर्वेद आचार्य ने बताई कुछ और ही बात
दूसरी तरफ, बोकारो के वरिष्ठ आयुर्वेद डॉक्टर राजेश पाठक का कहना है कि आषाढ़ी फल के बारे में ये सिर्फ आदिवासियों की मान्यता है। वैज्ञानिक इलाज के मुताबिक, आषाढ़ी फल में जहर नाश करने की क्षमता नहीं होती है, इसलिए सांप के काटने की स्थिति में पीड़ित को तुरंत अस्पताल पहुंचाकर इलाज करवाना चाहिए, ताकि मरीज का सही समय पर इलाज हो सके।
इस तरह करें इस फल का इस्तेमाल
आयुर्वेद डॉक्टर ने बताया कि आषाढ़ी फल की तासीर गर्म होती है और ये फल मुख्य रूप से पाचन शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। इसके लिए फल को अच्छी तरह सुखाकर उसका चूर्ण बना लें। रोजाना आधा चम्मच चूर्ण को एक गिलास पानी में मिलाकर पीने से पेट की पाचन शक्ति बढ़ती है। वहीं, गर्भवती महिलाओं और दमा के रोगियों को इस फल का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे उन्हें नुकसान हो सकता है।