कम पानी में भी झमाझम उत्पादन देगी धान की ये उन्नत किस्मे किसानो को बना देगी धन्ना सेठ

By Ankush Barskar

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कम पानी में भी झमाझम उत्पादन देगी धान की ये उन्नत किस्मे किसानो को बना देगी धन्ना सेठ

पारंपरिक खेती के तौर पर देश के ज्यादातर हिस्सों में धान की खेती की जाती है. लेकिन, धीरे-धीरे पानी की कमी हो रही है. ऐसे में सूखे की समस्या का सामना करने वाले किसानों के लिए परेशानी हो जाती है. बारिश के इंतजार में उन्हें धान की खेती टालनी पड़ती है. इसीलिए आज हम जानेंगे कि कम पानी में भी धान की कौन सी किस्में किसान लगा सकते हैं.

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कम पानी में भी ज्यादा पैदावार

कम पानी में भी अच्छी पैदावार देने वाली धान की किस्में बताई जा रही हैं, क्योंकि इन्हें ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती. जी हां, धान की खेती के लिए पानी तो जरूरी है, लेकिन कम पानी में भी इन किस्मों को लगाकर किसान अच्छी पैदावार ले सकते हैं. तो आइए जानते हैं ऐसी ही पांच बौनी धान की किस्मों के बारे में जिन्हें सूखा प्रभावित इलाकों में भी लगाया जा सकता है.

धान की किस्में जिनमें कम लगता है पानी

नीचे दिए गए बिंदुओं के अनुसार कम पानी वाली 5 बौनी धान की किस्मों के बारे में जानें.

1. पूसा बासमती 1509

अगर कम पानी में 25 से 32 क्विंटल तक पैदावार देने वाली फसल लगाना चाहते हैं तो किसान इस वैरायटी को लगा सकते हैं. यह पूसा बासमती-1509 का ही लेटेस्ट वर्जन है. इसमें झोंका और ब्लास्ट रोगों के प्रतिरोध की क्षमता है, जिससे किसानों को ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ेगा. यही वजह है कि इसकी डिमांड बढ़ रही है. PB 1509 किस्म को पानी की कमी वाले इलाकों में लगाया जा सकता है. यह धान ज्यादा पैदावार देता है. साथ ही यह बौना है और इसकी क्वालिटी भी अच्छी है. इसीलिए यह धान भी बेहतरीन है.

2. पूसा बासमती पीबी-1886

इसके अलावा एक और बेहतरीन धान की किस्म है, जिसका नाम पूसा बासमती पीबी-1886 है. यह धान 150 से 155 दिन में तैयार हो जाता है. यह धान भी झोंका और ब्लास्ट रोगों के प्रतिरोधक है. इसकी खेती ज्यादातर हरियाणा और उत्तराखंड में की जाती है. जुलाई के महीने में इसकी बुवाई की जा सकती है. अगर इस किस्म की खेती एक हेक्टेयर में की जाए तो लगभग 50 क्विंटल तक की पैदावार प्राप्त हो जाती है. इस तरह इससे भी ज्यादा उत्पादन प्राप्त हो रहा है.

3. पूसा बासमती पीबी 1728

यहां पूसा बासमती पीबी 1728 धान के बारे में भी जानकारी दी गई है. जिसमें बताया गया है कि यह बैक्टीरिया जनित ब्लाइट रोग से लड़ता है. इसकी खेती ज्यादातर दिल्ली, पंजाब, हरियाणा के साथ-साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में की जाती है. अगर किसान एक एकड़ में खेती करते हैं, तो लगभग पांच किलो बीज की जरूरत होगी. इस तरह यह भी एक अच्छा विकल्प है.

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4. पूसा बासमती पीबी-1401

अगर किसान ज्यादा पैदावार लेना चाहते हैं तो वे पूसा बासमती पीबी-1401 लगा सकते हैं. क्योंकि यह 40 से 50 क्विंटल तक की पैदावार देता है. यह धान की बौनी किस्म है. इसे तैयार होने में 135 से 140 दिन लगते हैं. अगर किसान देर से खेती कर रहे हैं तो यह किस्म अच्छी है. इसे पूरे जुलाई महीने में लगाया जा सकता है.

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