सरसों की बुवाई का समय नजदीक आ रहा है, लेकिन अभी से एक पखवाड़ा पहले ही किसान DAP (डायमोनियम फॉस्फेट) खाद खरीदने में जुटे हुए हैं। किसानों का मानना है कि बुवाई के समय खाद की कमी हो सकती है। इसलिए वे पहले से ही स्टॉक करना चाहते हैं। इस स्थिति को देखते हुए कृषि विभाग ने सलाह दी है कि किसान DAP की जगह SSP (सिंगल सुपर फॉस्फेट) का भी उपयोग कर सकते हैं।
DAP एक बहुत ही लोकप्रिय और रासायनिक खाद है, जो किसानों द्वारा सरसों जैसी फसलों के लिए आमतौर पर उपयोग किया जाता है। किसान प्रति एकड़ आम तौर पर 50 किलो यानी एक बोरा DAP डालते हैं। लेकिन कृषि विभाग का कहना है कि इस मात्रा में आवश्यक पोषक तत्वों, विशेषकर सल्फर की कमी है।
SSP एक अच्छा विकल्प है जो न केवल फास्फोरस बल्कि सल्फर भी पूरा करता है। इसमें लगभग 12 प्रतिशत सल्फर होता है जो सरसों और अन्य तिलहन फसलों के लिए अत्यंत आवश्यक है। सल्फर की कमी से फसल की गुणवत्ता और उपज पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि किसान DAP की जगह SSP का उपयोग करते हैं तो उपज में सुधार होगा और फसल की गुणवत्ता भी बढ़ेगी।
कृषि विभाग के गुणवत्ता नियंत्रण निरीक्षक डॉ. संजय यादव ने कहा कि अधिक उपज प्राप्त करने के लिए किसान अधिक रासायनिक खादों का भी उपयोग कर रहे हैं। फसलों में आवश्यकतानुसार ही खाद का प्रयोग करें। अधिक खाद डालने से भूमि की उर्वरता पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो सकता है।
डॉ. यादव ने सुझाव दिया है कि सरसों की बुवाई करते समय किसान प्रति एकड़ 75 किलो SSP, 35 किलो यूरिया, 14 किलो पोटाश (MOP) और 10 किलो जिंक सल्फेट का उपयोग करें। या आप एक बोरा NPK (12:32:16), दो बोरा जिप्सम, 15 से 20 किलो यूरिया और 10 किलो जिंक सल्फेट भी उपयोग कर सकते हैं।
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सरसों की बुवाई का उपयुक्त समय आम तौर पर 15 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक माना जाता है। कुछ किसान इससे पहले भी बुवाई का काम शुरू कर देते हैं। यह बुवाई मुख्य रूप से मानसून सीजन की बारिश पर निर्भर करती है। यदि बारिश अच्छी होती है तो सरसों का क्षेत्रफल बढ़ जाता है। वहीं, यदि बारिश कम होती है तो यह क्षेत्रफल भी कम हो जाता है।
हालांकि खाद की उपलब्धता ठीक है, लेकिन किसानों की चिंता है कि बुवाई के समय खाद की कमी हो सकती है। इस चिंता के कारण वे पहले से ही खाद खरीदने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। किसानों को खाद के चयन में उचित जानकारी होनी चाहिए और बिना कारण चिंता नहीं करनी चाहिए।
खाद के साथ-साथ किसानों को सरसों की बुवाई के लिए खेत की भी उचित तैयारी करनी चाहिए। पिछली फसलों की कटाई और जुताई समय पर पूरी कर लेना आवश्यक है। इसके अलावा यदि भूमि में पर्याप्त नमी है तो जुताई भी करनी पड़ सकती है। ऐसे कार्यों से बुवाई का समय भी प्रभावित होता है।