खेती की लागत को कम करने और प्रदूषण को घटाने की दिशा में एक नया आविष्कार सामने आया है. जी हां, अब गोबर से ट्रैक्टर चलाया जा सकता है! वही गोबर जिसे हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं, वही अब खेती में क्रांति ला सकता है.
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दुनियाभर में गोबर के सही उपयोग को लेकर प्रयोग किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में ब्रिटिश कंपनी बेनामन ने गोबर से बायोगैस बनाकर ट्रैक्टर चलाने की तकनीक का अविष्कार किया है. ये बायोगैस 270 हॉर्सपावर के ट्रैक्टर को भी बिना किसी दिक्कत के चला सकता है. इतना ही नहीं, डीजल के मुकाबले ये प्रदूषण कम करता है और लागत भी घटाता है.
आइए जानते हैं ये तकनीक काम कैसे करती है.
100 गायों वाले खेत में कंपनी एक बायोगैस बनाने वाली यूनिट लगाती है. इस यूनिट में गोबर, मूत्र आदि सभी चीजों को एक साथ डाला जाता है. फिर इस मिश्रण से बायोगैस बनाया जाता है. इस बायोगास को एक क्रायोजेनिक टैंक में भरा जाता है. इसके बाद, इस टैंक को ट्रैक्टर में फिट कर दिया जाता है. इस टैंक में -160 डिग्री तापमान पर तरल मीथेन रखा जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि इसे ठीक उसी तरह इस्तेमाल किया जा सकता है, जिस तरह डीजल का इस्तेमाल ट्रैक्टर चलाने के लिए किया जाता है. आपको चलाने में कोई फर्क महसूस नहीं होगा.
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गोबर से मीथेन बनाने के बाद जो बचा हुआ पदार्थ बचता है, वो खाद के रूप में खेतों में इस्तेमाल किया जा सकता है. इससे खाद खरीदने पर लगने वाला पैसा भी बच जाता है. साथ ही, फसलों की पैदावार भी अच्छी होती है. क्योंकि ये खाद शुद्ध होता है, इसमें कोई रसायन नहीं मिला होता है, जिससे फसलों को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचता है.
इस नए आविष्कार से उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले समय में खेती करना और भी आसान हो जाएगा. लागत कम होगी, प्रदूषण कम होगा और फसल उत्पादन भी बढ़ेगा.