Dewas: जल है तो कल है इसे बचाने के लिए हमें जल संरचनाओं को पुर्नजीवित करने के प्रयास करना होंगे- प्रहलाद पटेल

By Yashna Kumari

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Dewas: जल है तो कल है इसे बचाने के लिए हमें जल संरचनाओं को पुर्नजीवित करने के प्रयास करना होंगे- प्रहलाद पटेल

Dewas/संवाददाता राम मीणा :- देवास प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा श्रम विभाग के मंत्री प्रहलाद पटेल ने देवास जिले के बागली विकासखंड जटाशंकर स्थल में आयोजित “जल गंगा संवर्धन अभियान” में सहभागिता की। मंत्री श्री प्रहलाद पटेल ने जटाशंकर महादेव मंदिर में पूजा अर्चन की तथा प्रदेश की सुख-समृद्धि की कामना है। उन्होंने जटाशंकर क्षेत्र एवं कुंड की साफ-सफाई की। इसके पश्चात मंत्री श्री पटेल ने ग्राम पंचायत बरझाई में कालीसिंध नदी उद्गम स्थल पर साफ-सफाई की तथा पौधारोपण किया। इस अवसर पर बागली विधायक मुरली भंवरा, हाटपीपल्या विधायक मनोज चौधरी, जिला पंचायत अध्यक्ष श लीला भेरूलाल अटारिया, श राजीव खंडेलवाल, सीईओ जिला पंचायत हिमांशु प्रजापति, एसडीएम बागली आनंद मालवीय, ग्राम पंचायत सरपंच, अन्य जनप्रतिनिधिगण एवं अधिकारीगण सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित थे।

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कार्यक्रम में मंत्री प्रहलाद पटेल ने जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि आज मेरे लिए बड़े ही सौभाग्य की बात है कि मैं भगवान जटायू की तपोभूमि पर आया हूं। पानी की बूंदें आज भी लगातार गिरती हैं। मन को बड़ी प्रसन्तामै हुई। उन्होंने कहा कि हमें अपने पर्यावरण को भी इसी प्रकार संभालकर रखना है। मंत्री पटेल ने कहा कि “जल गंगा संवर्धन अभियान” 05 जून से प्रारंभ हुआ था जो कि 16 जून गंगा दशहरा तक चलेगा।

मंत्री श्री पटेल ने कहा कि देश में आज जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन पानी हमारे पास उतना है। आजादी के समय देश की आबादी 40 करोड़ थी जो वर्तमान में बढ़कर 142 करोड़ के लगभग हो गई है लेकिन पानी उतना ही है। भारत सरकार ने प्रति व्यक्िानर् को 55 लीटर पानी देने का फैसला किया। लेकिन हम पानी को बना नहीं सकते हैं। पानी ऊपर से गिरेगा और धरती माता में जाएगा तभी हमें पानी मिलेगा। बारिश के पानी और अन्य जल स्त्रोतों के पानी को संरक्षण किए बिना हम पानी को सहजकर नहीं रख सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने जरूर बात कि जो बांध, तालाब सिंचाई के लिए बनाए जाते हैं, उनका पानी पीने योग्य कैसे बनाए।

पानी शुद्ध, साफ-स्वच्छ एवं निर्मल होना चाहिए। उन्होंने कहा पानी कोई नहीं दे सकता है, पानी धरती माता ही दे सकते है लेकिन पानी आसमान से गिर धरती पर आएगा पर हमें उसे संभालकर उसका संरक्षण करना होगा। इसके लिए हमें कार्य करना होगा। जल गंगा संवर्धन अभियान जल संरक्षण के लिए चलाया जा रहा है। हमें अपनी जिम्मेदारी को समझना होगा और इनका संरक्षण करना होगा तभी हम अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ करके जाएंगे।

मंत्री श्री पटेल ने कहा कि हमारे पूर्वज बहुत ही समझदार और भविष्य को देखकर ही काम करते थे। उन्होंने आने वाली पीढ़ी के लिए पहले से ही कुएं, बावड़िया, कुंडों, तालाब, झीलों एवं घाटों को निर्माण करवाया और हम लोगों को सौगात के रूप में देकर गए। हमें जो सौगात देकर गए हैं, उनको हमें अब संरक्षित करना है, जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी को पर्याप्त मात्रा में जल मिल सकें। उन्होंने कहा कि पेड़ तो हम सभी लगाते हैं, लेकिन उनका संरक्षण कोई नहीं करता है। अगर हम पेड़ों का संरक्षण अच्छे से कर लें तो निश्चित ही हमारा वातावरण तो अच्छा होगा, साथ ही संरचनाओं में पानी भी रहेगा।

मंत्री श्री पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने जब अभियान प्रारंभ किया था तब मैंने भी तय किया कि मैं नदियों के उद्गम स्थल तक जाउंगा। मैं लगातार उद्गम स्थल पर जा रहा हूं। आज बागली की ग्राम पंचायत जटाशंकर में आया हूं। बड़ा ही अच्छा लग रहा है कि भगवान जटायू की तपो भूमि हैं, जहां जल की धारा लगातार बह रही है। मेरा सभी से आग्रह है कि जल गंगा संवर्धन अभियान में बढ़चढ़कर सहभागिता करके ज्यादा से ज्यादा जल संरक्षण का कार्य करें। उन्होंने कहा कि ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण करें। वृक्षारोपण के साथ ही उनकी देखभाल भी करें। उन्होंने कहा कि वृक्ष होंगे तो जल होगा, जल होगा तो हमारा जीवन चलेगा। यह नारा नहीं है सच्चाई है।

जल ही जीवन है इसलिए आने वाली पीढ़ी को ध्यान में रखते हुए ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण करें। उन्होंने कहा कि हम अक्सर लालच में आ जाते है और अपने खेतों में लगे पेड़-पौधों को काटकर वहां या तो निर्माण कर लेते हैं या फिर खेती प्रारंभ कर देते हैं। हमें खेतों, आंगनों में लगे पेड़-पौधों को संरक्षित करना ही है साथ ही दूसरे पौधों को बड़ा करना है। वृक्ष हमें छाया ही नहीं देते, हमें जीवनदायनी ऑक्सीजन और पीने के लिए पानी भी देते हैं।

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मंत्री श्री पटेल ने कहा कि मैं आज सभी बुजुर्गों एवं मातृ शक्तियों से आग्रह करता हूं कि अपने बच्चों को बताएं कि वे अपने जल स्त्रोतों नदी, तालाब, कुएं बावड़ियों को संरक्षित रखें। उन्होंने कहा कि नदी हमें पानी ही नहीं देती है, नदी हमारी संस्कृति का आधार हैं। हम नदियों को इसलिए ही पूजते हैं। हम नदी को संरक्षित करके रखेंगे तो हमारी संस्कृति भी संरक्षित रहेगी और हमें हमेशा शुद्ध पेयजल भी मिलता रहेगा।

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