बासमती धान की यह किस्में देगी ताबड़तोड़ उत्पादन जानिए बुवाई की सही प्रक्रिया भारत में बड़े पैमाने पर धान की खेती की जाती है. लेकिन ज्यादातर किसान सिर्फ पारंपरिक किस्मों को उगाने पर ही जोर देते आए हैं. हालांकि अब खेती करने का तरीका बदल रहा है. धान की खेती का सीजन भी करीब आ रहा है. ऐसे में हम किसानों को ऐसी किस्मों के बारे में बताते हैं, जिन्हें उगाकर आप कम समय में अच्छी पैदावार ले सकते हैं. अगर किसान पारंपरिक धान की जगह बासमती की खेती करें तो आसानी से दोगुना मुनाफा कमा सकते हैं. बासमती की धान से तैयार होने वाला चावल सुगंधित होने के साथ-साथ स्वादिष्ट भी होता है और साल भर इसकी डिमांड रहती है. कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए बाजार में उपलब्ध बेहतर किस्मों और बासमती की खेती की पूरी जानकारी साझा की है.
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कब और कैसे करें बुवाई?
कोडरमा के कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. एके राय ने लोकल 18 को बताया कि बासमती की धान लगाने के लिए मई-जून में खेत की जुताई कर उसमें से खरपतवार साफ कर लेनी चाहिए. इसके बाद जून-जुलाई में जब सीजन की पहली बारिश होती है. तब रोपाई शुरू कर दी जाती है. किसान अभी से बासमती धान के लिए नर्सरी तैयार करने की तैयारी शुरू कर सकते हैं.
बीजों को बुवाई से पहले भिगोएं
कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि धान की बुवाई करने से पहले धान के बीजों को कार्बेन्डाजिम या ट्राइकोडर्मा से उपचारित करना चाहिए. इससे धान के बीज तेजी से अंकुरित होते हैं. फसल में कोई कीड़े नहीं लगते. किसानों को सलाह दी गई कि धान की नर्सरी तैयार करने से पहले धान के बीजों को एक दिन के लिए पानी में अच्छी तरह से भिगो दें. इसके बाद बीजों को नर्सरी में लगाएं. 25 से 30 दिनों में नर्सरी तैयार हो जाने के बाद खेत में रोपाई करते समय 2 से 3 इंच पानी होना जरूरी है. बताया कि जब बेहतर देखभाल के साथ उन्नत किस्म की नर्सरी तैयार की जाएगी तो धान की फसल में भी काफी सुधार होगा.
हवा के नुकसान से बचाएगी ये किस्म
कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि पूसा बासमती-6 की धान की बालियां कम ऊंचाई की होती हैं, जो तेज हवाओं में सुरक्षित रहती हैं. इस धान से प्राप्त होने वाले चावल के दाने एक समान आकार के होते हैं. इस धान के बीज से किसानों को एक हेक्टेयर में 55 से 60 क्विंटल तक की पैदावार होती है.
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छोटे और सुगंधित दानों वाली ये किस्म
कस्तूरी बासमती किस्म का धान अपने पौष्टिक गुणों के लिए जाना जाता है. इसमें धान के दाने छोटे और सुगंधित होते हैं. इसका स्वाद भी बहुत अच्छा होता है, जिस वजह से किसानों को बाजार में इसका बेहतर दाम मिल जाता है. यह 120 से 130 दिनों में तैयार हो जाती है. एक हेक्टेयर से किसानों को लगभग 30 से 40 क्विंटल तक की पैदावार प्राप्त हो जाती है.