भारत सदियों से गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए जाना जाता है। आयुर्वेद की जन्मभूमि होने के कारण देश में विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियों और औषधियों का खजाना मौजूद है। आज हम ऐसे ही एक अनमोल पौधे, मकोय के बारे में बात करेंगे।
मकोय का उपयोग श्वसन संबंधी समस्याओं, मूत्र संबंधी समस्याओं, कुष्ठ रोग और बुखार से राहत पाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा यह किडनी, सूजन, बवासीर, दस्त और कई प्रकार की त्वचा रोगों के इलाज में भी फायदेमंद है। मकोय के पत्ते एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होते हैं। नियमित रूप से मकोय का काढ़ा पीने से लीवर को बहुत फायदा होता है। यही कारण है कि मकोय को पीलिया या अन्य लीवर से संबंधित समस्याओं में सुझाव दिया जाता है। इसके सेवन से तेजी से रिकवरी होती है। साथ ही, ऐसा माना जाता है कि मकोय का सेवन युवावस्था बनाए रखने में भी मदद करता है।
मकोय की खेती और लाभ
मकोय की खेती के लिए तैयार पौधे खेत में बनाए गए गड्ढों में लगाए जाते हैं। इसे आमतौर पर मिश्रित खेती के रूप में उगाया जाता है। उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर मकोय की खेती की जाती है, जिससे यहां इसकी उपज भी अधिक होती है। मकोय को फल देने में कम से कम 3 से 4 साल का समय लगता है। मकोय का व्यापार में बहुत लाभ होता है। एक एकड़ भूमि पर मकोय की खेती करके एक महीने में लगभग 78 से 80 हजार रुपये का लाभ कमाया जा सकता है। एक एकड़ में 200 से 250 पौधे लगाए जा सकते हैं।