दुनिया का ऐसा फल जो तोड़ने से 2 घंटे में होता है ख़राब 5 बड़ी बीमारियों को करता है रफूचक्कर जाने इसके फायदे

By pradeshtak.in

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दुनिया का ऐसा फल जो तोड़ने से 2 घंटे में होता है ख़राब 5 बड़ी बीमारियों को करता है रफूचक्कर जाने इसके फायदे

पहाड़ों के जंगलों में कई ऐसे पेड़-पौधे पाए जाते हैं, जो सेहत के लिए औषधि का काम करते हैं. उन्हीं में से एक है हिमाचुली रसभरी, जिसे हिसालु के नाम से भी जाना जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम रुबस एलिप्टिकस (Rubus Elipticus) है. jména उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में पाए जाने वाला हिमाचुली रसभरी एक रसीले फल से भरपूर झाड़ी है. ये फल अप्रैल-मई और जून के महीनों में सूखी भूमि में उगने वाली झाड़ी पर लगते हैं.

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हिमाचुली रसभरी 700 से 2000 मीटर की ऊंचाई पर पाए जाते हैं. ये फल दो तरह के होते हैं – काले और पीले. काले हिमाचुली रसभरी बहुत कम देखने को मिलते हैं, जबकि पीले हिमाचुली रसभरी ज़्यादातर देखे जाते हैं. यह फल काफी मुलायम होता है. हल्के हाथ से दबाते ही इसका रस निकलने लगता है. सबसे बड़ी बात यह है कि तोड़ने के 2-3 घंटे के अंदर ही हिमाचुली रसभरी का फल खराब हो जाता है.

जितना स्वादिष्ट और आकर्षक दिखता है, हिमाचुली रसभरी उतना ही औषधीय गुणों से भी भरपूर होता है. इसके सेवन से संक्रमण से बचा जा सकता है. आइए जानते हैं इसके कई अन्य फायदों के बारे में:

हिमाचुली रसभरी के 5 कमाल के फायदे

1. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए: हिमाचुली रसभरी के खट्टे-मीठे फलों में एंटी-ऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इन्हीं पोषक तत्वों के कारण यह फल शरीर के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है. इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे संक्रमण का खतरा कम हो जाता है.

2. गले के दर्द से राहत: हिमाचुली रसभरी में गले के दर्द को ठीक करने के गुण होते हैं. इसके फलों से प्राप्त रस का सेवन करने से गले के दर्द में जल्दी आराम मिल सकता है. इतना ही नहीं, ये बुखार, पेट दर्द और खांसी में भी फायदेमंद होता है.

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3. किडनी के लिए कारगर: एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर हिमाचुली रसभरी किडनी की समस्याओं को कम करने में कारगर है. इन्हीं गुणों के कारण इसका सेवन किडनी टॉनिक के रूप में भी किया जाता है. इसका नियमित सेवन किडनी संबंधी खतरों से राहत दिला सकता है.

4. मधुमेह को कंट्रोल करे: हिमाचुली रसभरी के फलों से प्राप्त हुए निचोड़ का सेवन मधुमेह जैसी बीमारियों को कंट्रोल करने में कारगर पाया गया है. हालांकि, अगर आप मधुमेह से पीड़ित हैं, तो इसका सेवन किसी विशेषज्ञ की सलाह पर ही करें.

5. अल्सर का इलाज: हिमाचुली रसभरी सिर्फ फल ही नहीं, बल्कि इसके पत्ते भी कमाल के फायदे पहुंचाते हैं. अस्थमा की समस्या होने पर इसके पत्तों का काढ़ा पीना फायदेमंद होता है. वहीं इसके ताजे पत्तों को ब्राह्मी की पत्तियों के साथ मिलाकर पेस्ट बनाकर खाने से पेप्टिक अल्सर को भी जड़ से खत्म किया जा सकता है.

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