उत्तराखंड के घने जंगलों में पाया जाने वाला किलमोड़ा फल अनेकों बीमारियों का रामबाण माना जाता है। इस जंगली फल से कई तरह के उत्पाद भी बनाए जाते हैं और यह फल अपने आप ही उगता है। कहा जाता है कि किलमोड़ा फल का नियमित सेवन बुढ़ापे को भी जवानी में बदल सकता है।
किलमोड़ा फल के फायदे
किलमोड़ा पौधे का हर हिस्सा गुणों से भरपूर है। इसकी जड़, तना, पत्ती, फूल, टहनियाँ और फल सभी का इस्तेमाल विभिन्न बीमारियों की दवा बनाने में किया जाता है। विशेष रूप से इसमें एंटी-डायबिटिक, एंटी-ट्यूमर, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल तत्व पाए जाते हैं। यह मुख्य रूप से डायबिटीज के इलाज में उपयोगी है।
किलमोड़ा फल की खेती कैसे करें?
हालांकि किलमोड़ा फल ज्यादातर जंगलों में पाया जाता है, लेकिन कई लोग इसकी खेती भी करते हैं। इसके लिए सबसे पहले आपको किलमोड़ा के बीजों की जरूरत होगी। इन बीजों को खेत में बोया जाता है। फल पकने में कम से कम 3 से 3.5 साल का समय लगता है। आप नर्सरी से पौधे लाकर भी इसकी खेती कर सकते हैं, जिससे फल जल्दी तैयार हो जाते हैं।
किलमोड़ा फल से कितनी होगी कमाई?
बाजार में किलमोड़ा फल की कीमत 1500 से 2000 रुपये तक होती है। इसके कई फायदों के कारण इसकी मांग काफी ज्यादा है। अगर आप इसकी खेती करते हैं तो महीने में कम से कम 1 से 2 लाख रुपये की कमाई कर सकते हैं। बाजार में इसकी काफी डिमांड रहती है, जिसके चलते इसकी कीमत और भी बढ़ जाती है।