लीची की खेती: अगर आप खेती के क्षेत्र में कुछ अलग करना चाहते हैं और मोटा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो लीची की खेती आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकती है. भारत में कई जगहों पर लीची की खेती की जाती है और इससे अच्छी कमाई की जा सकती है. लीची से ना सिर्फ सीधे फल बेचकर मुनाफा कमाया जा सकता है, बल्कि इससे जैम, कैनिंग स्क्वैश और जूस बनाकर प्रसंस्करण करके भी अच्छा लाभ कमाया जा सकता है.
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लीची का उत्पादन
आपको जानकर खुशी होगी कि लीची की पैदावार के मामले में भारत चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है. देश में कुल लीची उत्पादन का लगभग 70% हिस्सा सिर्फ बिहार में ही होता है. बिहार की (शाही) लीची विदेशों में भी काफी प्रसिद्ध है और यहां से लीची का निर्यात विभिन्न देशों को किया जाता है.
लीची के फायदे
लीची में कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस और आयरन जैसे मिनरल्स पाए जाते हैं, जो इसे काफी फायदेमंद बनाते हैं. लीची त्वचा के लिए भी फायदेमंद होती है और मानसिक तनाव को कम करने में भी मदद करती है.
लीची की खेती का समय
उत्तर भारत में लीची के बाग लगाने का सही समय जुलाई-अगस्त का महीना होता है. पूरा पौधा लगाने के लिए, पौधों को 15 दिनों तक रोजाना पानी देना जरूरी होता है. पौधा लगाने के बाद सिंचाई की आवश्यकता होती है, जो पौधे की जरूरत के हिसाब से की जाती है.
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लीची की खेती कैसे करें?
बगीचा लगाने से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई करने के बाद, उग आए हुए बारहमासी झाड़ियों को हटा दें, ताकि पौधा अच्छी तरह से बढ़ सके. बगीचा बनाने से पहले चारों ओर घनी तरह से उगने वाले दो कतारों में हवा रोधी पौधे लगाने चाहिए. लीची के बागान लगाने के लिए कई तरीके हैं, लेकिन व्यावसायिक स्तर पर वर्गाकार विधि (8 मीटर x 8 मीटर या 6 मीटर x 6 मीटर) में पौधे लगाने की सलाह दी जाती है.