शरीर की 206 हड्डियां बनाएगी फौलाद ये फसल बुढ़ापे को गायब कर आमंत्रित करेगी नयी जवानी कमाई की तगड़ी लाइन जाने नाम

By Karan Sharma

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शरीर की 206 हड्डियां बनाएगी फौलाद ये फसल बुढ़ापे को गायब कर आमंत्रित करेगी नयी जवानी कमाई की तगड़ी लाइन जाने नाम

मूंग की फसल को उगने के लिए नम और गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है। इसे बारिश के मौसम में उगाया जा सकता है। 25 से 32 डिग्री सेल्सियस तापमान इसके विकास के लिए अनुकूल पाया गया है। जहां सालाना 75 से 90 सेंटीमीटर बारिश होती है, वहां मूंग की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है। पकने के समय साफ मौसम और 60 प्रतिशत आर्द्रता होनी चाहिए। पकने के समय अत्यधिक बारिश हानिकारक होती है।

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मिट्टी की आवश्यकताएं

मूंग की खेती के लिए दोमट से बलुई दोमट, 7.0 से 7.5 पीएच वाली मिट्टी सबसे अच्छी होती है। खेत की जल निकासी अच्छी होनी चाहिए।

भूमि की तैयारी

  • खरीफ फसल के लिए: खेत को एक बार गहरी जुताई करके मिट्टी पलटने वाले हल से करें और जैसे ही बारिश शुरू हो, स्थानीय हल या कल्टीवेटर से 2-3 बार जुताई करें और खेत को खरपतवार मुक्त करने के बाद पाटा लगाकर समतल करें। दीमक से बचाव के लिए क्लोरपाइरीफॉस 1.5% पाउडर को बुवाई के समय मिट्टी में 20-25 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से मिलाएं।
  • समर मूंग की खेती के लिए: रबी फसलों की कटाई के तुरंत बाद खेत की जुताई कर दें और 4-5 दिन छोड़ने के बाद सिंचाई करें। सिंचाई के बाद स्थानीय हल या कल्टीवेटर से 2-3 बार जुताई करें और लेवलर का उपयोग करके खेत को समतल और मुलायम बनाएं। इससे इसमें नमी बनी रहती है और बीजों का अच्छा अंकुरण होता है।

बुवाई का समय

खरीफ मूंग की बुवाई के लिए उपयुक्त समय जून के अंतिम सप्ताह से जुलाई के पहले सप्ताह तक होता है और गर्मी की फसल की बुवाई 15 मार्च तक कर देनी चाहिए। यदि बुवाई में देरी होती है, तो फूल आने के समय तापमान बढ़ने के कारण कम फली बनती है या बिल्कुल नहीं बनती है, जिससे इसकी पैदावार प्रभावित होती है।

उन्नत किस्मों का चयन

मूंग के लिए, बुवाई के समय प्रति एकड़ 8 किलो नाइट्रोजन, 20 किलो फॉस्फोरस, 8 किलो पोटाश और 8 किलो सल्फर का उपयोग करना चाहिए।

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मध्य प्रदेश के लिए उन्नत किस्मों का चयन

मध्य प्रदेश में मूंग की खेती के लिए निम्नलिखित किस्मों का चयन उनकी विशेषताओं के आधार पर किया जाना चाहिए

नोट: इस खंड में मध्य प्रदेश के लिए उपयुक्त मूंग की किस्मों की जानकारी शामिल करें, जैसे कि किस्म का नाम, परिपक्वता अवधि, बीज का वजन, रोग प्रतिरोधक क्षमता आदि।

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