MP News : सरकारी खरीद केंद्रों की बदहाली और अनाज की बर्बादी हर साल किसान कड़ी मेहनत करके फसल उगाते हैं, लेकिन सरकारी खरीद केंद्रों पर उनका शोषण होता है. महीनों तक धूप में परेशान होने के बाद भी उन्हें फसल का सही दाम नहीं मिलता. इससे भी बड़ी समस्या यह है कि सरकार करोड़ों रुपये खर्च करके अनाज खरीदती है, लेकिन फिर उसकी सुरक्षा का ध्यान नहीं रखती. नतीजा, ये अनाज गोदामों में सड़ जाता है.
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आपको जानकारी के लिए बता दे की खरीद केंद्रों से लेकर गोदामों तक की पूरी व्यवस्था में खामियां हैं. कुछ लोग इसी व्यवस्था का फायदा उठाकर अपना स्वार्थ पूरा कर रहे हैं. खरीद केंद्रों पर रखे गए अनाज की बोरियों में से चोरी हो रही है. चोरी छिपाने के लिए अनाज वाली बोरियों पर पानी डाला जा रहा है, ताकि वजन बढ़ जाए और चोरी का पता न चल सके. इस तरह से हर केंद्र से हजारों क्विंटल अनाज चोरी हो रहा है. पिछले पांच सालों में भ्रष्ट अधिकारियों ने इस तरह से 10 हजार करोड़ रुपये के अनाज को बर्बाद कर दिया है.
सागर संभाग में हुआ खुलासा
हाल ही में मध्य प्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद का काम पूरा हुआ है. कई केंद्रों पर अनाज से भरे बोरे अभी भी गोदामों तक नहीं पहुंच पाए हैं. ऐसे में हाल ही में सागर संभाग के कुछ खरीद केंद्रों और गोदामों में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. सागर के पास सनौधा इलाके के एक खरीद केंद्र में दिनदहाड़े गेहूं से भरे बोरों को पानी में भिगोने का वीडियो सामने आया है. वीडियो में केंद्र पर काम करने वाला कर्मचारी पाइप से इन बोरों पर पानी का छिड़काव करता हुआ दिखाई दे रहा है.
जिस तरह से बोरियों पर पानी डाला जा रहा है, उससे साफ है कि यह गेहूं गोदामों में ज्यादा समय तक सुरक्षित नहीं रहने वाला. कुछ ही महीनों में यह गेहूं सड़ जाएगा. हैरानी की बात यह है कि समर्थन मूल्य पर खरीद केंद्रों पर किसानों के अनाज की नमी जांचने के बाद भी वहां के तौलने वाले कर्मचारियों के कहने पर बोरियों को पानी में क्यों भिगोया जा रहा है, इसका जवाब अधिकारियों के पास भी नहीं है. इस वीडियो के सामने आने के बाद अब खरीद समिति की जांच की जा रही है. वहीं, गोदामों तक पहुंच चुके गीले गेहूं के बोरों का क्या होगा, इस बारे में भी कोई कुछ नहीं कह पा रहा है.
गोदामों में सड़ रहा अनाज
पिछले साल जबलपुर और भोपाल सहित राज्य के कई जिलों में गोदामों में हजारों क्विंटल गेहूं और अन्य अनाज सड़ने की खबरें आई थीं. सिर्फ जबलपुर जिले में ही पिछले पांच सालों में गोदामों में रखे 50 हजार क्विंटल से ज्यादा अनाज सड़ चुका है. इससे सरकार, एफसीआई और खरीद करने वाली अन्य एजेंसियों को 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है. मामला सामने आने पर सरकारी स्तर पर जांच के आदेश तो दिए गए, लेकिन कार्रवाई ठंडे बस्ते में चली गई.
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खराब हुआ अनाज – रोंगटे खड़े कर देने वाला आंकड़ा
आपको जानकर शायद ही विश्वास होगा कि साल 2013-14 और 2014-15 में मध्य प्रदेश के गोदामों में सड़े अनाज की कीमत 5 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा थी. इसमें सरकार जो चावल 2800 रुपये प्रति क्विंटल खरीदती है, उसका 157 लाख टन यानी 15 करोड़ 70 लाख क्विंटल अनाज 4,396 करोड़ रुपये का है.