Pandhurna: ग्रामजयंती महोत्सव के उपलक्ष्य में भव्य शोभायात्रा एवं महाप्रसाद का आयोजन

Pandhurna/संवाददाता गुड्डू कावले पांढुरना:- श्री गुरुदेव सेवा मंडल शुक्रवार बाजार जिला पांढुर्ना के तत्वाधान में ग्रामजयंती महोत्सव वंदनीय राष्ट्र संत श्री तुकडोजी महाराज की जयंती मनाई जा रही है कार्यक्रम की रूपरेखा मंगलवार दिनांक 30अप्रैल 2024 को सुबह 5:00 बजे योगा तथा 6:00 बजे ध्यान पाठ, 9:00 बजे से ग्रामगीता ग्रंथ वाचन तथा 10:00 बजे पंच कुंडीय गायत्री महायज्ञ तथा 12:00 बजे से भजन-कीर्तन, दोपहर 3:00 बजे से बाल सुसंस्कार शिविर का कार्यक्रम है तथा शाम 5:00 बजे सामुदायिक प्रार्थना, हरिपाठ होगा संध्या 5:30 बजे से भव्य शोभायात्रा नगर भ्रमण के लिए निकलेंगे तथा शोभायात्रा समापन के पश्चात महाप्रसाद होगा।

यह भी पढ़िए :- Indore Loksabha: कांग्रेस का इंदौर से पत्ता हुआ कट ! कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने नामांकन वापस लेकर थामा भाजपा का दामन

वंदनीय राष्ट्र संत तुकडोजी महाराज का जीवन चरित्र के कुछ महत्वपूर्ण प्रसंग का परिचय जानिए परम पूजनीय वंदनीय राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज का जन्म 30 अप्रैल 1909 भारत के महाराष्ट्र अमरावती जिले के यावली ग्राम में जन्मे थे उनके आध्यात्मिक गुरुदीक्षा समर्थ श्री आडकोजी महाराज ने दी थी तुकडोजी महाराज मानवता के महान पुजारी तथा स्वयंसिद्ध संत थे उनका प्रारंभिक जीवन बाल्यावस्था में आध्यात्मिक और योगाभ्यास जैसे साधना मार्गो से पूर्ण था। उन्होंने रामटेक, सालबर्ड़ी, रामदिधी और गोंदोडा के बीहड जंगलों में साधना की गई उनके भक्ति गीतों में देशभक्ति और नैतिक मूल्यों की बहुत ही ज्यादा व्यापकता है उनकी खंजरी एक पारंपरिक वाद्य यंत्र था।

वह ब्रह्मचारी थे परंतु उनका पूरा जीवन जाति, वर्ग पंथ या धर्म से परे समाज की राष्ट्री की सेवा के लिए समर्पित था।भारत साधु संतों के सानिध्य में आध्यात्मिक कार्यक्रमों द्वारा समाज में जन जागृति का काम प्रारंभ कर दिया जो 1942 के भारत राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के रूप में परिलक्षित हु। राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज के ही आवाहन पर अंग्रेज भारत छोड़ो आंदोलन का परिणाम आष्टि-चिमुर स्वतंत्रता संग्राम के इसके चलते अंग्रेजों द्वारा उन्हे चंद्रपुर में गिरफ्तार कर नागपुर और रायपुर के जेल में डाल दिया गया था जेल से छूटने के बाद तुकडोजी महाराज ने सामाजिक सुधार आंदोलन चलाकर अंधविश्वास अस्पृश्यता मिथ्या धर्म, गो वध एवं सामाजिक बुराइयों के खिलाफ संघर्ष किया।

भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने सन 1955 में तुकडोजी महाराज को राष्ट्र संत की उपाधि दी सन 1955 में उन्हें जापान में होने वाले विश्व धर्म संसद और विश्व शांति सम्मेलन की सदस्य के रूप में भारत देश का प्रतिनिधित्व किया सन 1956 में राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज द्वारा भारत साधु समाज का आयोजन किया गया जिसमें विभिन्न संप्रदायों,पंथों और धार्मिक संस्थाओं के प्रमुखों की सक्रिय सहभागिता देखने को मिली। यह स्वतंत्र भारत का पहला संत संगठन था और इसके प्रथम अध्यक्ष तुकडोजी महाराज थे 1956 से 1960 की कार्य अवधि में विभिन्न सम्मेलनों को संचालित तथा संबोधित किया भारत सेवक समाज सम्मेलन, हरिजन सम्मेलन, विदर्भ साक्षरता सम्मेलन, अखिल भारतीय वेदांत सम्मेलन, आयुर्वेद सम्मेलन, वह विश्व हिंदू परिषद के संस्थापक उपाध्यक्षों में से एक थे उनके द्वारा राष्ट्रीय विषयों के कई सारे मोर्चो बंगाल भीषण अकाल 1945, चीन से युद्ध 1962 और पाकिस्तान आक्रमण 1956 पर अपनी भूमिका का निर्वाह तत्परता से किया गया।

यह भी पढ़िए :- 23 साल बाद बना दुर्लभ संयोग मई और जून में इस साल नहीं बजेगी शादी जानें फिर कब है लग्न

उनके साहित्यिक योगदान बहुत अधिक उच्च श्रेणी का है उन्होंने हिंदी और मराठी दोनों भाषाओं में 3000 भजन, 2000 अभंग, 5000 ओवीस के अलावा धार्मिक सामाजिक, राष्ट्रीय और औपचारिक एवं अनौपचारिक शिक्षा पर 600 से अधिक लेख लिखें उनका महान ग्रंथ ग्रामगीता की रचना की जो भारत के गांव ग्राम के लोगों को समर्पित किया। राष्ट्र संत तुकडोजी महाराज एक स्वयं द्वारा जगमगाता तारा और एक गतिशील नेतृत्व था वह कई सारी कलाओं में और कौशलों के ज्ञाता थे। आध्यात्मिक क्षेत्र में वह एक महान योगी के रूप में जाने जाते थे तो सांस्कृतिक क्षेत्र में उनकी प्रसिद्धि एक ओजस्वी वक्ता और संगीतज्ञ में के रूप में थी उनका व्यक्तित्व अतुलनीय और अद्वितीय था उनके व्यक्तित्व के बहुत सारे पहलू थे एवं उनकी शिक्षाएं आने वाली पीढियां के नित्य एवं उपयोगी है। महाराज जी का अंतिम समय में कैंसर घातक बीमारी से 11 अक्टूबर 1968 को सायं 4: 58 बजे अपने नश्वर शरीर का त्याग कर ब्रह्मलीन हो गए।जो सभी लोगों को कर्तव्य और निस्वार्थ सेवा भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्रदान की और शिक्षा का अनुपालन कर हमें अपने जीवन और चरित्र का निर्माण करना चाहिए ऐसी प्रेरणा दी गई

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Leave a comment