अयोध्या में भव्य मंदिर में विराजमान रामलला के प्रथम जन्मोत्सव को लेकर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह है. इसी उत्साह को ध्यान में रखते हुए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रामनवमी (15 से 17 अप्रैल) के दौरान 24 घंटे दर्शन की घोषणा की थी. लेकिन अब इसको लेकर विवाद खड़ा हो गया है.
पहले राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि रामलला 5 साल के बाल गोपाल हैं, उन्हें कितना जगाया जा सकता है. अब मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने साफ शब्दों में कहा है कि मंदिर 24 घंटे नहीं खुल सकता है और इसे बंद करना होगा.
Ram Mandir:दर्शन के लिए उमड़ रहे हैं श्रद्धालु
यह रामलला के जन्मस्थान पर बने भव्य मंदिर में उनका पहला जन्मोत्सव है, इसलिए श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर है. इस अवसर पर हर कोई अयोध्या में उपस्थित होना चाहता है और इस विशेष क्षण में शामिल होना चाहता है. श्रद्धालुओं के इस उत्साह को देखते हुए ही राम मंदिर को रामनवमी पर 24 घंटे दर्शन के लिए खोलने की घोषणा की गई थी. यह भी फैसला किया गया था कि आरती और भोग के समय भी श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे. अयोध्या प्रशासन के पीछे इस सोच का कारण यह था कि इस विशेष अवसर पर ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शन कर सकें.
Ram Mandir:24 घंटे नहीं खुलेगा मंदिर
अयोध्या के जिलाधिकारी नीतीश कुमार का कहना है कि, हम 10 से 15 लाख लोगों का अनुमान लगा रहे हैं. सही आंकड़ा तो रामनवमी के बाद ही पता चल पाएगा, हम कोशिश कर रहे हैं कि ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालुओं को दर्शन हो सके. इसके लिए मंदिर 24 घंटे खुला रहेगा, आरती के समय भी मंदिर खुला रहेगा, लेकिन जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने साफ कहा था कि यह भी सोचना होगा कि आप 5 साल के बच्चे को कितना जगा कर रखेंगे? उनके बयान से यह स्पष्ट है कि रामनवमी के दिन मंदिर जरूर बंद होगा, भले ही थोड़े समय के लिए ही सही और उस दौरान रामलला को विश्राम कराया जाएगा और उनका श्रृंगार भी किया जाएगा.
Ram Mandir:मुख्य पुजारी का कहना
श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का कहना है कि प्रशासन के कहने से ऐसा नहीं होगा, हर किसी की मर्यादा होती है. कोई भी मंदिर 24 घंटे नहीं खुला रहता है, प्रशासन को यह फैसला लेना चाहिए कि मंदिर सुबह बंद होगा या रात में, लेकिन मंदिर जरूर बंद होगा. उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर के ट्रस्टी और प्रशासन को इस बारे में फैसला करना चाहिए और श्रद्धालुओं को पहले से सूचित करना चाहिए ताकि उन्हें किसी तरह की असुविधा न हो.