Ravi Choudhary :- जाने कौन है इंदौर के रवि चौधरी जिनकी फैन फॉलोइंग और काफिले देख नेता भी घबराते है

By pradeshtak.in

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Ravi Choudhary :- जाने कौन है इंदौर के रवि चौधरी जिनकी फैन फॉलोइंग और काफिले देख नेता भी घबराते है रवि चौधरी एक ऐसे छात्र नेता हैं जिनकी जड़ें गहरी हैं। सन 2017 में जब वे कॉलेज में शामिल हुए, तो उन्होंने देखा कि दो छात्र संगठन, स्कॉइस जी और एबीवीपी, अपना संगठन खड़ा करने में जुटे थे। उस समय कॉलेज के छात्रों को लेट फीस, परीक्षा और कई अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। रवि चौधरी ने उसी दौरान छात्र राजनीति के बारे में सीखा और समझा कि छात्रहित में इसका इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है। इसके बाद उन्होंने पहले साल से ही छात्रों की समस्याओं और उनकी पढ़ाई को लेकर सवाल उठाना शुरू कर दिया। उस वक्त उनके मन में छात्र नेता बनने की कोई लालसा नहीं थी, सिर्फ छात्रों की निस्वार्थ भाव से मदद करने का जज्बा था।

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छात्रहित और समाज सेवा का मिशन

रवि चौधरी एक साधारण और जमीन से जुड़े हुए इंसान हैं। उनके लिए धर्म सर्वोपरि है। उनका मानना है कि अगर किसी भी स्कूल या कॉलेज का प्रबंधन तिलक या अन्य धार्मिक चिन्हों को लेकर बात करता है, तो वे हमेशा छात्रों के हक की बात करेंगे। तिलक लगाना उनकी आस्था का विषय है और प्रबंधन को इसमें कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। छात्र राजनीति के साथ-साथ रवि सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। उनका जीवन का एक सिद्धांत यह भी है कि वे अपनी कमाई का १० प्रतिशत गरीबों की मदद के लिए लगाते हैं। उनका लक्ष्य समाज की निस्वार्थ भाव से सेवा करना है।

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छात्रों की मदद से छात्रसंघ अध्यक्ष तक का सफर

लगभग एक साल तक छात्रों की मदद करने के बाद, कॉलेज में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुए। हर किसी का सपना अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनना था, लेकिन रवि चौधरी को छात्रों के भारी समर्थन से अध्यक्ष पद के लिए चुना गया। इसके बाद से उनकी छात्र राजनीति की रफ्तार तेज हो गई। उन्हें दूसरे कॉलेजों से भी छात्रों की समस्याओं की जानकारी के लिए फोन आने लगे। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने एमबीए भी किया। इस दौरान उन्होंने छात्रों की समस्याओं को सुलझाने के लिए कॉलेज और स्कूल प्रबंधन से कई बार बहस की। उनकी वजह से कई बार छात्रों की फीस माफी हुई, छात्रवृत्ति मिली और अन्य समस्याओं का समाधान निकला। धीरे-धीरे लोग उनसे जुड़ने लगे और उन्हें लगातार अध्यक्ष पद के लिए चुना जाता रहा। उनके लिए सबसे बड़ा पद कॉलेज अध्यक्ष का पद ही था। किसी भी पद के लिए उनके मन में कोई लालच नहीं है, बल्कि वे बिना किसी पद के भी हमेशा छात्रों के हित में खड़े रहते हैं।

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