सफेद सोने की खेती से चच्ची बन गयी लाखो की मालकिन 3000 रूपये किलो के हिसाब से बेचती है घी जाने कैसे

By Karan Sharma

Published On:

सफेद सोने की खेती से चच्ची बन गयी लाखो की मालकिन 3000 रूपये किलो के हिसाब से बेचती है घी जाने कैसे

दूध उत्पादन के लिए traditionally गाय और भैंस का पालन किया जाता रहा है, लेकिन अब बकरी के दूध ने भी अपनी गुणवत्ता के कारण बाज़ार में अपनी जगह बना ली है। लोग न सिर्फ बीमारियों से राहत पाने के लिए बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी में भी बकरी का दूध पीने लगे हैं। जिसके चलते इसकी मांग दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बता रहे हैं, जो सिर्फ आधे एकड़ ज़मीन में 200 बकरियों का डेयरी फार्म चलाकर अच्छी कमाई कर रही हैं। उन्होंने साबित कर दिया है कि महिलाएं भी खेती के क्षेत्र में कमाल कर सकती हैं। वह महिला सशक्तिकरण की जीती जागती मिसाल हैं। उनके लिए यह दूध सोने से कम नहीं है, इसलिए उन्होंने इसे व्हाइट गोल्ड फार्मिंग का नाम दिया है। आइए जानते हैं शैलजा जी से वह कैसे इस अद्भुत बकरी डेयरी फार्म को चला रही हैं।

यह भी पढ़िए :- Punch को गिल्ली जैसा उचका देगी टैंकर भर फीचर्स वाली Maruti की ब्रांडेड कार CNG के साथ कीमत भी इतनी

शैलजा जी की सफलता का राज

शैलजा जी के पास इस डेयरी फार्म में लगभग 200 सानेन हैं। यह मुख्य रूप से नीदरलैंड की एक प्रजाति है, जिसे दूध देने वाली सबसे बेहतरीन बकरी माना जाता है। 200 बकरियों में से 100 हमेशा दूध देने के लिए तैयार रहती हैं और बाकी बच्चे देने की तैयारी में होती हैं। एक बकरी एक दिन में दो लीटर तक दूध देती है। जिसे वह दूध, पनीर, चीज आदि के रूप में बेचती हैं। दूध आसानी से ₹175 से ₹200 प्रति किलोग्राम के भाव बिक जाता है। यह दूध चेन्नई, मुंबई, गोवा आदि शहरों में सप्लाई किया जा रहा है। पनीर ₹1000 प्रति किलो और घी ₹3000 प्रति किलो के भाव बिकता है। शैलजा जी बताती हैं कि अगर बकरियों को सही ढंग से आहार दिया जाए, तो उनसे तीन से चार लीटर दूध भी प्राप्त किया जा सकता है।

बकरियों का चारा

बकरियों को मुख्य रूप से सूखा चारा, हरा चारा और अनाज खिलाया जाता है। सूखे चारे में अरहर, चना, सोयाबीन की सूखी तना आदि शामिल हैं। हरे चारे में कटी हुई मक्का, मेथी घास आदि शामिल हैं। और इसके साथ ही उन्हें मूंगफली और सूरजमुखी की खली आदि भी खिलाई जाती है।

बकरियों के रहने का प्रबंध

अगर इन दूध देने वाली बकरियों के रहने की बात करें, तो उन्होंने अपने फार्म में तीन-चार शेड लगाकर डिब्बे बनाए हैं। उनका एक डिब्बा 18 फीट लंबा और 11 फीट चौड़ा होता है। जिसमें कम से कम 8 से 10 बकरियां रहती हैं। बकरियों के रहने के लिए लोहे के पाइपों से एक तरह के खांचे बनाए गए हैं। जिसमें बकरियां आसानी से फिट हो जाती हैं और उनका दूध मशीनों या हाथों से भी आसानी से निकाला जा सकता है। कोशिश की जाती है कि हर डिब्बे में लगभग एक ही उम्र की बकरियों को साथ रखा जाए।

यह भी पढ़िए :- विटामिन का बैंक है धरती का सबसे छोटा फल लाखो की कमाई हो या बीमारी का नाश बड़ी सिद्दत से देता है फायदा जाने इसका नाम

बकरी के दूध की मांग क्यों है?

लोगों में जागरूकता बढ़ने के कारण वे अब बकरी के दूध के फायदों से भी परिचित हो गए हैं। बकरी का दूध कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस से भरपूर होता है। जो हड्डियों को मजबूत करता है और विटामिन ए भी इसमें भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसमें मौजूद वसा बहुत आसानी से पच जाती है। इसके दूध में सेलेनियम पाया जाता है जो खून में प्लेटलेट की मात्रा बढ़ाने में बहुत मदद करता है, इसलिए डेंगू आदि बीमारियों में इसका सेवन जरूरी हो जाता है। इसका दूध कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को

Leave a comment