कहा लगे हो चक्कर में ! कोई नहीं इस नस्ल छगली के टक्कर में कमाई भी बमचिक और फायदा भी रापचिक

By Ankush Barskar

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कहा लगे हो चक्कर में ! कोई नहीं इस नस्ल छगली के टक्कर में कमाई भी बमचिक और फायदा भी रापचिक

खेती के साथ-साथ कई लोग अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए बकरी पालन भी करते हैं. बकरी पालन आमदनी का एक बेहतरीन जरिया है. ये छोटे जानवर होते हैं जिन्हें पालना आसान होता है. लेकिन कुछ बकरियों को पालना मेहनत का काम होने के साथ-साथ खर्चीला भी हो सकता है. मगर आज हम जिस बकरी की बात करने जा रहे हैं, उसे गरीबों की बकरी कहा जाता है. क्योंकि इसे पालने में ज्यादा खर्च नहीं आता. यही कारण है कि हमारे देश के ज्यादातर छोटे किसान खेती के साथ-साथ इस बकरी को पालकर अच्छी कमाई कर रहे हैं. तो आइए जानते हैं वो कौन सी बकरी है.

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संकर नस्ल की बकरी: मुनाफे का सौदा

दरअसल, हम बात कर रहे हैं संकर नस्ल की बकरी की. इस नस्ल की बकरी पालकर किसानों को अच्छा मुनाफा होता है. कई छोटे किसान इस बकरी को पालकर अच्छी कमाई कर रहे हैं. तो आइए जानते हैं इसमें ऐसा क्या खास है.

कहा लगे हो चक्कर में ! कोई नहीं इस नस्ल छगली के टक्कर में कमाई भी बमचिक और फायदा भी रापचिक

कम बीमार पड़ना: बड़ा फायदा

संकर नस्ल की बकरियों की सबसे अच्छी खासियत ये है कि ये जल्दी बीमार नहीं पड़तीं. यानी किसानों को इनके इलाज में ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ता. क्योंकि इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है. जिसके चलते ये हर मौसम में खुद को ढाल लेती हैं.

कम खर्चा, ज्यादा कमाई

इसके अलावा, भले ही इस बकरी को गरीबों की बकरी कहा जाता है, लेकिन इसका मांस काफी कीमती होता है. जिसकी वजह से अच्छी कीमत मिल जाती है और ये गरीबों की मसीहा बकरी बन जाती है. क्योंकि इन्हें पालने का खर्च तो कम है, लेकिन मीट की अच्छी कीमत मिलने से अच्छी कमाई हो जाती है.

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तेजी से बढ़ता वजन

यही नहीं, ऐसा भी कहा जाता है कि इस नस्ल की बकरियों का वजन तेजी से बढ़ता है. जिसमें करीब 6 महीने में ही बकरियों के वजन में 25 किलो तक का इजाफा देखा गया है. इस तरह से ये बकरी पालने के लिए काफी अच्छी मानी जाती है.

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