किसानो को करोड़पति बना देगी सोयाबीन की ये किस्मे 100 क्विंटल से ज्यादा की पैदावार देखे पूरी जानकारी अगर आप खेती करके ज्यादा कमाई करना चाहते हैं तो सोयाबीन की खेती आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकती है. यह एक प्रमुख तिलहनी फसल है, जिसे न सिर्फ भारत में बल्कि पूरे विश्व में पसंद किया जाता है. सोयाबीन को प्रोटीन का खजाना भी कहा जाता है. इसमें फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट, ओमेगा-3, ओमेगा-6, फैटी एसिड और फाइटोएस्ट्रोजन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. सोयाबीन से तेल, दूध, पनीर और बड़ी जैसी चीजें बनाई जाती हैं. अच्छी कमाई के लिए आप भी सोयाबीन की खेती कर सकते हैं. इससे अच्छी आमदनी हो सकती है. आइए अब विस्तार से जानते हैं कि सोयाबीन की खेती कैसे की जाती है?
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सोयाबीन की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
सोयाबीन की खेती के लिए रेतीली दोमट मिट्टी सबसे ज्यादा उपयुक्त होती है, जिसमें जल निकास की अच्छी व्यवस्था हो. मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए और उसमें पर्याप्त मात्रा में कार्बनिक पदार्थ होने चाहिए. खेत की मिट्टी ढीली और फैलने लायक होनी चाहिए. खेत की गहरी जुताई करें और फिर 2-3 बार हल्की जुताई करें. हर बार जुताई के बाद खेत को समतल करने के लिए, उसे ध्यानपूर्वक रेक चलाना जरूरी है. खेत तैयार होने के बाद ही बुवाई का काम करें.
जानिए कैसे करें सोयाबीन की बुवाई
सोयाबीन के बीजों को बीमारियों से बचाने के लिए, उनका उपचार थिरम या कार्बेन्डाजिम से 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से करना चाहिए. इसके अलावा, ट्राइकोडर्मा विरिडे के 4 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से टैल्क फॉर्मूलेशन के साथ भी उपचार किया जा सकता है. बीजों का अच्छा अंकुरण (अंकुरित होना) होने के लिए, वे स्वस्थ और रोगमुक्त होने चाहिए. खरीफ सीजन में लगभग 70-80 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर और वसंत-ग्रीष्म ऋतु में 100-120 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है.
सोयाबीन की उन्नत किस्में
ICAR की रिपोर्ट के अनुसार, सोयाबीन की उन्नत किस्मों में ब्रैग, क्लार्क 63, इंदिरा सोया-9, पंजाब-1, ली, आरएससी-10-46, आरएससी-10-52, आलंकार, इंप्रूव्ड पेलिकन, शिलाजीत, जेएस-2, उपास-19, आर-184 आदि शामिल हैं. बीज का चयन सोयाबीन उत्पादन में एक महत्वपूर्ण कारक है. इसलिए किस्मों का चयन करते समय परिपक्वता और रोग प्रतिरोधक क्षमता जैसे कई कारकों पर ध्यान देना चाहिए.
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खाद की जानकारी
सोयाबीन की अच्छी फसल उगाने के लिए 15-20 टन प्रति हेक्टेयर की दर से सड़ी हुई गोबर की खाद का इस्तेमाल करना चाहिए. संतुलित रासायनिक उर्वरक के तहत 20-40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60-80 किलोग्राम पोटाश, 40 किलोग्राम सल्फर प्रति हेक्टेयर इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके साथ ही जस्ता का भी 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल किया जा सकता है.
सोयाबीन की कटाई
सोयाबीन की फसल को पूरी तरह से पकने के बाद ही काटना चाहिए. जब फलियां काली, भूरी या सुनहरी हो जाती हैं, तब वे कटाई के लिए तैयार होती हैं.