गर्मी के मौसम में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए देसी फलों का सेवन सबसे फायदेमंद होता है. उन्हीं फलों में से एक है ताड़ का फल, जिसे टाड़कुली या आइस एप्पल भी कहा जाता है। इसकी खासियत यह है कि ये सिर्फ साल में दो ही महीने मिलता है, इसीलिए लोग इसके लिए बेसब्री से इंतजार करते हैं.
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इन दिनों हजारीबाग के बाजारों में ताड़कुली फल खासा आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. दूर-दराज से लोग शहर के जिला चौक पर खजूर का ये फल बेचने के लिए आ रहे हैं. इसे अंग्रेजी में आइस एप्पल भी कहा जाता है. देखने में ये बाहर से तो नारियल जैसा लगता है, लेकिन अंदर से जेली की तरह होता है.
ताड़कुली का स्वाद भी नारियल जैसा ही होता है. ये फल साल में सिर्फ डेढ़ से दो महीने ही बाजार में मिल पाता है. इसी वजह से लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं. झारखंड के ज्यादातर इलाकों में ताड़कुली फल खाने के लिए मिलता है.
हजारीबाग में ताड़कुली बेचने आए छोटू सिंह बताते हैं कि वो बिहार के गया के गुरुआ से हजारीबाग आए हैं. वो इसी काम में लगे हुए हैं. वो बताते हैं कि वो तीन भाई मिलकर खजूर का फल बेचते हैं. दो भाई इसे बिहार से यहां भेजते हैं. अभी फिलहाल ताड़कुली 10 रुपये प्रति पीस मिल रहा है.
वो आगे बताते हैं कि ताड़कुली का फल पेड़ पर बहुत ऊंचाई पर लगता है. ताड़कुली के पेड़ पर चढ़कर इसे नीचे लाना बहुत खतरनाक काम होता है. इसके बाद इसे नुकीले चाकू की मदद से छीलकर उसका फल निकाला जाता है. हजारीबाग के लोगों को ताड़कुली खाना बहुत पसंद है. यहां हर रोज 1000 से ज्यादा पीस खप जाते हैं.
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छोटू सिंह बताते हैं कि स्वादिष्ट होने के साथ-साथ ताड़कुली के कई फायदे भी हैं. गर्मियों में इसे खाने से शरीर ठंडा रहता है. इसी वजह से इसे आइस एप्पल या कौआ कहा जाता है. ये गर्मियों में शरीर में एनर्जी लाने का काम करता है. साथ ही ये शरीर को हाइड्रेट रखने और पाचन तंत्र को दुरुस्त करने में भी मदद करता है.