आजकल हर कोई खेती को घाटे का सौदा मानता है, लेकिन अब ऐसा नहीं है. खेती करके लोग लाखों रुपये कमा रहे हैं. इसकी जीती जागती मिसाल हैं फर्रुखाबाद के किसान. यहां तरबूज की bumper पैदावार से किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं और वो भी सिर्फ 90 दिनों में. इसकी लागत भी काफी कम है. ऐसे में अन्य फसलों के मुकाबले किसान दोगुना कमाकर मालामाल हो रहे हैं.
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फर्रुखाबाद के गुढानमई गांव के रहने वाले किसान सत्येंद्र कुमार बताते हैं कि वह पिछले 8 सालों से तरबूज की खेती कर रहे हैं. उनका कहना है कि अन्य फसलों के मुकाबले इसमें कम मेहनत और लागत लगती है, वहीं दूसरी तरफ इसकी बिक्री खेत में ही हो जाती है. ऐसे में उन्हें कोई खास मशक्कत नहीं करनी पड़ती है. एक बार फसल तैयार हो जाने के बाद इसकी दो टाइम कटाई होती है. जिसके बाद जब फसल खत्म हो जाती है, तो इसके पौधों को खाद बना लिया जाता है. इस समय उन्होंने अपने खेतों में चमunda किस्म की फसल लगाई है.
तरबूज की ज्यादा मांग
वह आगे बताते हैं कि आलू की फसल निकालने के बाद तरबूज के बीज बोए जाते हैं, जो मई-जून में पैदावार देने लगते हैं. ऐसे में गर्मी के इस मौसम में 90 दिन में तैयार होने वाली इस फसल से किसान लाखों रुपये कमा लेते हैं क्योंकि इस समय देशभर के अलग-अलग राज्यों से तरबूज की डिमांड काफी रहती है. बाजार में इन दोनों ही तरह के तरबूज की अलग-अलग वैरायटीज उपलब्ध हैं.
तीन हजार रुपये प्रति बीघा की लागत
किसान सत्येंद्र कुमार का कहना है कि तरबूज की फसल में आमतौर पर तीन हजार रुपये प्रति बीघा का खर्च आता है. फसल तैयार होने पर 20 क्विंटल तरबूज की आसानी से कटाई हो सकती है. ऐसे समय में अगर किसानों को 10 से 20 रुपये प्रति किलो का रेट मिल जाए, तो उनकी कमाई लाखों रुपये में हो जाती है. खेत से तरबूज निकालने के बाद फिर उसी खेत में तरबूज के पौधों के लिए प्राकृतिक खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. जिससे दूसरी फसलों का उत्पादन भी बढ़ जाता है.
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तरबूज उगाने की विधि
वह आगे बताते हैं कि सबसे पहले खेत को समतल करने के बाद हर एक फुट की दूरी पर एक तरबूज की पौध या बीज लगाते हैं. इसके बाद समय-समय पर सिंचाई की जाती है. जब पौधा बड़ा हो जाता है तो फूल आने के बाद तरबूज फल बनते हैं. ऐसे में तीन महीने के बाद खेत से तरबूज निकलने शुरू हो जाते हैं, जिन्हें वो बेचते हैं.