कम निवेश, अधिक मुनाफा! सिर्फ 3 महीने में लाखों रुपये कमाएं मुर्गी पालन की इस योजना से

By pradeshtak.in

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मुर्गी पालन

कम निवेश, अधिक मुनाफा! सिर्फ 3 महीने में लाखों रुपये कमाएं मुर्गी पालन की इस योजना से झारखंड में किसानों के लिए मुर्गी पालन एक बेहतरीन अवसर के रूप में उभरा है। राज्य सरकार की नई योजनाओं और बीरसा कृषि विश्वविद्यालय की झारसिम नस्ल ने इसे और भी आसान और लाभदायक बना दिया है। अब किसान कम निवेश के साथ कम समय में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। सिर्फ 3 महीने में 1.5 से 2 किलो वजन के मुर्गियां तैयार हो जाती हैं, जिससे सालाना लाखों रुपये कमाई हो सकती है। अगर आप भी मुर्गी पालन से अपनी आय बढ़ाना चाहते हैं, तो इस सुनहरे अवसर को न जाने दें.

झारखंड में मुर्गी पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है, जिसका मुख्य उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। इन योजनाओं के माध्यम से किसान अपने मुनाफे को कई गुना बढ़ा सकते हैं।

राज्य में अंडों और मांस की भारी मांग है। झारखंड में हर दिन लगभग 5 लाख अंडे का सेवन होता है, जिससे मुर्गी पालन करके किसान सालाना लाखों रुपये कमा सकते हैं। इस व्यवसाय में महिलाओं की भागीदारी भी आसान है और वे इसे घर बैठे कर सकती हैं।

बीरसा कृषि विश्वविद्यालय ने मुर्गी पालन को बढ़ावा देने के लिए विशेष रूप से “झारसिम” नस्ल विकसित की है। यह नस्ल सामान्य मुर्गियों की तुलना में अधिक अंडे और मांस देती है। कृषि वैज्ञानिक डॉ. पंकज सेठ के अनुसार, झारसिम नस्ल हर साल लगभग 150 अंडे देती है, जबकि स्थानीय मुर्गी केवल 60 अंडे देती है।

झारसिम अंडों का वजन भी अधिक होता है, जो प्रति अंडा लगभग 50 ग्राम होता है, जबकि स्थानीय अंडों का वजन औसतन 30 ग्राम होता है। झारसिम मुर्गियां सामान्य मुर्गियों की तुलना में तेजी से तैयार होती हैं और कम चारा खाती हैं।

यह नस्ल जन्म के बाद केवल 10 महीने में अंडे देना शुरू करती है, और उनके मांस में कई महत्वपूर्ण विटामिन उच्च मात्रा में पाए जाते हैं। यह नस्ल स्थानीय मुर्गियों की तुलना में 3 से 4 गुना तेजी से बढ़ती है। किसान 3 महीने के भीतर 1.5 से 2 किलोग्राम वजन के मुर्गों या मुर्गियों को तैयार कर सकते हैं।

इसके साथ ही किसान कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करके अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। झारखंड में ये मुर्गी पालन योजनाएं न केवल किसानों के लिए लाभकारी हैं, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत कर रही हैं।

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