इस फल से बनती है चेहरे की क्रीम पावडर एक बार करके देखो सेवन चमकने लगोगे हीरे की तरह जाने नाम

By Ankush Barskar

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इस फल से बनती है चेहरे की क्रीम पावडर एक बार करके देखो सेवन चमकने लगोगे हीरे की तरह जाने नाम

भारत में कई तरह की फसलों की खेती की जाती है, उन्हीं में से एक है आंवले की खेती। आंवले की खेती करके किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. इसकी खास बात यह है कि आंवले की खेती गर्मियों और सर्दियों दोनों मौसम में की जा सकती है. आंवले का पेड़ 46 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सहने की क्षमता रखता है। यह गर्म वातावरण में भी फूलों की कलियों को निकलने में मदद करता है।

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आज हम आपको आंवले की खेती से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें बताएंगे। आप भी आंवला लगाकर अच्छी कमाई कर सकते हैं। आइए जानते हैं आंवले की खेती कैसे करें।

आंवले की खेती कैसे करें

फलों के वैज्ञानिक डॉ. एस.के. सिंह कहते हैं कि आंवले की खेती रेतीली मिट्टी से लेकर चिकनी मिट्टी तक, सभी तरह की मिट्टी में सफलतापूर्वक की जा सकती है। आंवले के पौधे लगाने के लिए 10 फीट x 10 फीट या 10 फीट x 15 फीट के गड्ढे खोदे जाते हैं। एक पौधा लगाने के लिए 1 घन मीटर के आकार का गड्ढा पर्याप्त होता है।

इन गड्ढों को 15-20 दिनों के लिए धूप में रहने दें, फिर हर गड्ढे में 20 किलो वर्मीकम्पोस्ट या कम्पोस्ट खाद, 1-2 किलो नीम का खली और 500 ग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर डालें। गड्ढे को भरते समय 70 से 125 ग्राम क्लोरपाइरीफॉस पाउडर भी डाल दें। इन गड्ढों को मई के महीने में पानी से भर दें, गड्ढा भरने के 15 से 20 दिन बाद ही पौधा लगाना चाहिए।

रोपण करते समय इन बातों का ध्यान रखें

आंवला एक पर-परागणित (cross-pollinated) पौधा है, इसलिए अधिकतम फल देने के लिए कम से कम 3 किस्मों के आंवले के पौधे 2:2:1 के अनुपात में लगाने चाहिए। उदाहरण के लिए, एक एकड़ में नरेंद्र-7 के 80 पौधे, कृष्णा के 80 पौधे और कांचन के 40 पौधे लगाए जा सकते हैं।

एक साल बाद, पौधे को 5-10 किलो गोबर की खाद, 100 ग्राम नाइट्रोजन, 50 ग्राम फॉस्फोरस और 80 ग्राम पोटाश देना चाहिए। अगले दस सालों के लिए, पेड़ की उम्र को गुणा करके खाद और उर्वरक की मात्रा निर्धारित करें और दसवें साल में इसी प्रकार से दें। खाद और उर्वरक की मात्रा 50-100 क्विंटल सड़ी गोबर की खाद, 1 किलो नाइट्रोजन, 500 ग्राम फॉस्फोरस और 800 ग्राम पोटाश प्रति पेड़ होगी।

पौधा लगाने के तुरंत बाद पहली सिंचाई करनी चाहिए, इसके बाद गर्मियों में 7-10 दिनों के अंतराल पर आवश्यकतानुसार पौधों की सिंचाई करनी चाहिए।

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पेड़ के सुसुप्त अवस्था (दिसंबर-जनवरी) के दौरान और मार्च में फूल आने के बाद सिंचाई नहीं करनी चाहिए। खरपतवार निकालना (Weeding) पौधों को स्वस्थ रखने और खाद और उर्वरकों के दुरुपयोग से बचने के लिए समय-समय पर खरपतवार निकालते रहना चाहिए और हल्की गुड़ाई करनी चाहिए।

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