गाय-भैंस की बड़ी बीमारी की टेंशन झेलेंगी अब ये जादुई मशीन सिर्फ 10 रूपये के खर्चे में हो जायेगा इलाज जान ले

By Ankush Barskar

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गाय-भैंस की बड़ी बीमारी की टेंशन झेलेंगी अब ये जादुई मशीन सिर्फ 10 रूपये के खर्चे में हो जायेगा इलाज जान ले

गाय और भैंस का दूध करोड़ों परिवारों का भरण पोषण करता है। डेयरी व्यवसाय देश में भारी राजस्व उत्पन्न करता है। इस कड़ी में, भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान (IIT), कानपुर के प्रोफेसर सिद्धार्थ पांडा ने डेयरी पशुओं के स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी तकनीक विकसित की है। इस तकनीक से डेयरी पशुओं में मैस्टिटिस रोग का आसानी से पता लगाया जा सकता है। IIT कानपुर के वैज्ञानिक प्रो. सिद्धार्थ पांडा ने बताया कि इसके लिए लेटरल फ्लो इम्युनोअस्से स्ट्रिप और विधि का इस्तेमाल किया गया है। अब तक इस बीमारी की पहचान के लिए कोई खास तकनीक नहीं थी.

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पशुओं में होने वाला मैस्टिटिस रोग उनके पूरे थन को खराब कर देता है

पशुपालक जानवरों के इस रोग से ग्रस्त होने पर ही इसके बारे में जान पाते थे। लेकिन अब इस खास तकनीक की मदद से जानवरों में संक्रमित होने से पहले ही इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है। प्रो. पांडा के अनुसार, यह बीमारी जानवरों में कुल दूध उत्पादन को भी प्रभावित करती है। अगर इस बीमारी की समय पर पहचान नहीं हो पाती है, तो डेयरी पशु का पूरा थन खराब हो जाता है और वह दूध देना बंद कर देता है। ऐसे में पशुपालकों को भी बड़ा धक्का लगता है.

अब मैस्टिटिस रोग की जांच आसान हो जाएगी

IIT कानपुर के वैज्ञानिक प्रो. सिद्धार्थ पांडा ने बताया कि अब इसकी जांच आसान हो जाएगी। हमने जानवरों की जांच के लिए एक स्ट्रिप तैयार की है। इसे एक नोवेल पॉलीक्लोनल एंटीबॉडी और एक नए डिजाइन का उपयोग करके तैयार किया गया है। इसके माध्यम से पशुपालक समय रहते यह पता लगा सकेंगे कि उनका पशु मैस्टिटिस नामक बीमारी से ग्रस्त है या नहीं।

तीव्र संक्रमण से जानवरों की मौत भी हो सकती है

उन्होंने बताया कि मैस्टिटिस पैदा करने वाले माइक्रोबियल प्रजातियों का एक बड़ा समूह है। इनमें वायरस, माइकोप्लाज्मा, फफूंद और बैक्टीरिया शामिल हैं। इसके अलावा, जानवर के स्तन क्षेत्र में चोट लगने, गंदगी के कारण भी मैस्टिटिस हो सकता है। मैस्टिटिस टॉक्सिमिया या बैक्टेरिया के रूप में बदल सकता है और तीव्र संक्रमण के कारण जानवर की मौत हो सकती है।

पशुपालकों को 10 रुपये में मिलेगी स्ट्रिप

IIT कानपुर के वैज्ञानिक प्रो. सिद्धार्थ पांडा ने बताया कि IIT कानपुर ने इस टेक्नोलॉजी को स्ट्रिप तैयार करने के लिए प्रॉम्प्ट इक्विपमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड को सौंप दिया है। यह कंपनी兽医 दवा (पशु चिकित्सा दवा) के क्षेत्र में काम करती है। कंपनी अगले दो से तीन महीनों में इस स्ट्रिप के लगभग 10 लाख यूनिट तैयार करेगी। इसके बाद यह बाजार में आ जाएगी। पशुपालकों की सुविधा के लिए इसकी कीमत काफी कम होगी। पशुपालकों को यह सिर्फ 10 रुपये में मिल जाएगी।

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पशुपालकों को मिलेगी बड़ी सुविधा

IIT कानपुर के निदेशक प्रो. मणिकंद अग्रवाल ने कहा कि ‘IIT कानपुर समाज के लिए व्यापक रूप से लाभकारी व्यावहारिक तकनीक बनाने के लिए समर्पित है, और मेरा मानना है कि हमारी मैस्टिटिस detection technology कृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण समस्याओं का समाधान कर सकती है, किसानों की आजीविका और डेयरी उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार कर सकती है।’

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