पाइनबेरी एक ऐसा फल है जो भारत में बहुत ही कम पाया जाता है। यह फल अनेक पोषक तत्वों से भरपूर है और लगभग सभी रोगों के इलाज के लिए उपयोगी माना जाता है। इस फल में लाखों बीमारियों से लड़ने की क्षमता होती है और यह शरीर को मजबूत बनाती है, जिससे बीमारियां दूर रहती हैं और शरीर भी स्वस्थ रहता है।
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पाइनबेरी की खेती कैसे की जाती है?
पाइनबेरी की खेती वसंत और ग्रीष्म ऋतु में की जाती है। सबसे पहले पाइनबेरी के बीज तैयार किए जाते हैं। इसके बाद जब पौधे बन जाते हैं, तो उन्हें खेतों में लगाया जाता है। इसके बाद इस फल को बढ़ने में कम से कम 55 से 60 दिन का समय लगता है। पाइनबेरी स्ट्रॉबेरी का एक प्रकार है और इसकी सांस्कृतिक आवश्यकताएं भी समान हैं। पूर्ण सूर्य में औसत, मध्यम नमी, अच्छी तरह से जल निकास वाली मिट्टी में उगाएं। जैविक रूप से समृद्ध, रेतीली दोमट मिट्टी को पसंद करता है। और यह पाइनबेरी ज्यादातर विदेशों में उगाया जाता है।
पाइनबेरी की खेती से कितना मुनाफा होगा?
पाइनबेरी की मांग बहुत अधिक है और हर कोई इसे बाजार में खाना पसंद करता है। इस कारण से इस फल का किराया भी बढ़ता ही रहता है। आपको बता दें कि अगर आप इस फल की खेती करते हैं तो आपको कई गुना मुनाफा मिलेगा। अगर आप एक एकड़ में भी इस फल की खेती करते हैं तो आपको कम से कम 10 से 20 लाख रुपये का मुनाफा मिलेगा। अब आप हिसाब लगा सकते हैं कि मुनाफा कितना होगा।