पांढुरना जिले में राजना,भूली,और बड़ चिचोली,सौसर तहसील के मोहगांव,रामाकोना और रंगारी से होता प्रतिबंधित कपास के बीज का विक्रय?

By pradeshtak.in

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गुड्डू कावले पांढुरना:-रोहणी नक्षत्र के बाद किसानों के लिए मृग नक्षत्र में मानसून सही समय पर वर्षा हो तो किसान के चेहरे खिल उठते है। परन्तु इस किसान के खेत में अमानक प्रतिबंधित कपास का बीज बोने के बाद 100% जर्मीनेश नहीं होना ओर किसान की उम्मीद पर कपास का एक एकड़ में जो एवरेज के मुताबिक फसल नहीं होना क्षेत्र के किसान के लिए चिंता का विषय बना है। प्रतिवर्ष स्थानीय प्रशासन के अधिकारी शहरी और ग्रामीण क्षेत्र की कृषि केंद्र संचालक के दुकानों का निरीक्षण कर स्टाक पंजी में दर्ज कंपनियों के बीज का सैंपल जांच नमूना लेने की कार्यवाही करते है।

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परंतु प्रतिबंधित कपास का बीज इन कृषि केंद्र से नहीं ग्रामीण अंचलों के ग्रामों में स्थित एजेंटो के माध्यम से होता है।जो पांढुरना जिले में ग्राम राजना,ग्राम भूली,और ग्राम बड़ चिचोली,सौसर तहसील के ग्राम मोहगांव,ग्राम रामाकोना और ग्राम रंगारी से प्रतिबंधित कपास बीज विक्रय के लिए अव्वल माना जाता है। एक बार यह बीज की बुआई होने के बाद किसान और किसान की किस्मत ही उसके साथ होती है। और अवैध प्रतिबंधित कपास का बीज का विक्रय करने वाल व्यापारी पूरा दोष मुक्त होता है पर उस किसान के सपनो का क्या यह एक अपने अपने आप में बड़ा सवाल है?

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महाराष्ट्र सरकार का प्रतिबंधित कपास खरीदी बिक्री पर सख्त कानून

मिली जानकारी के मुताबिक कोरोना काल से शहरी क्षेत्र का यह अवैध प्रतिबंधी कपास का कारोबार ग्रामीण अंचलों से पांढुरना होते महाराष्ट्र के किसानों को भी बेचा जाता है। अवैध प्रतिबंधी कपास का कारोबार के मामले में महाराष्ट्र का प्रशासनिक अमला इन दिनों बड़ा सक्रिय रहता है। किसान द्वारा प्रतिबंधी कपास खरीदी की जानकारी लगते ही किसान को आरोपी किसान के बताए अनुसार कृषि केंद्र संचालक से प्रतिबंधी कपास खरीदी बिक्री में लिप्त होने की स्थित में सख्त कार्यवाही करते है। परन्तु पांढुरना से कोरोडो का प्रतिबंधी कपास का व्यापार होने के बावजूद स्थानीय प्रशासन खास कुछ नहीं कर पाता है।वर्षो से अवैध व्यापार चलाने के बाद भी आज तक कार्यवाही जीरो है। इस विषय पर स्थानीय प्रशासन पर बड़ा प्रशन चिन्ह खड़ा हो रहा है।

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