सोयाबीन-गेहूं की खेती से कई गुना बेहतर है इस फसल की खेती कम मेहनत और कम पानी में होता है ताबड़तोड़ उत्पादन जाने नाम

By Karan Sharma

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सोयाबीन-गेहूं की खेती से कई गुना बेहतर है इस फसल की खेती कम मेहनत और कम पानी में होता है ताबड़तोड़ उत्पादन जाने नाम

क्या आप जानते हैं आजकल बाजार में एक ऐसा सुपरफूड तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, जिसकी खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं? जी हां, हम बात कर रहे हैं कुट्टू की! कुट्टू का आटा सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है. इसमें प्रोटीन, फाइबर, आयरन, कैल्शियम, कॉपर, मैग्नीशियम, विटामिन-बी, फॉस्फोरस और फोलेट जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसकी खेती करने से न सिर्फ किसानों की सेहत अच्छी रहती है, बल्कि अच्छी कमाई भी हो सकती है. आइए जानते हैं कुट्टू की खेती कैसे की जाती है.

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कुट्टू की खेती कैसे करें

कुट्टू की खेती करने के लिए किसानों के पास खेत, पानी और खाद की सुविधा होनी चाहिए. मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच होना अच्छा माना जाता है. बीजों की बात करें तो एक हेक्टेयर खेत के लिए 75 से 80 किलो बीज की जरूरत होती है. बीज बोते समय एक बीज से दूसरे बीज के बीच 10 सेंटीमीटर का फासला रखा जा सकता है. सिंचाई के लिए पानी का अच्छा प्रबंध होना चाहिए. हल्की सिंचाई लगभग 5 से 6 बार ही करनी चाहिए.

जलवायु और उपज

कुट्टू की खेती के लिए जलवायु थोड़ी ठंडी और नम होनी चाहिए. इसकी खेती ज्यादातर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के ऊंचे पहाड़ों में की जाती है. इसके अलावा असम और सिक्किम में भी इसकी अच्छी पैदावार होती है. कुट्टू की फसल तैयार होने में लगभग 6 महीने का समय लगता है. धान की तरह इसे भी द threshing और सुखाने के बाद निकाला जाता है.

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कुट्टू की खेती से किसानों को फायदा क्यों

कुत्टू को सुपरफूड्स में गिना जाता है, क्योंकि यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है. लोग इसे सेहत को ध्यान में रखते हुए खाते हैं. साथ ही, व्रत के दौरान भी इसका सेवन किया जाता है. इसके अलावा, इसका इस्तेमाल दवाइयां बनाने में भी किया जाता है. यही नहीं, अच्छी क्वालिटी का शहद बनाने में भी इसका इस्तेमाल होता है. फास्ट फूड में भी इसे मिलाया जाता है. जिन्हें ग्लूटेन फ्री डाइट की जरूरत होती है, वो भी इसका सेवन कर सकते हैं. इस तरह आप देख सकते हैं कि कुट्टू के कितने फायदे हैं. जिस वजह से किसानों को इससे अच्छी कमाई हो सकती है.

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