नीली हल्दी, जिसे काली हल्दी के नाम से भी जाना जाता है, एक विशेष प्रकार की हल्दी है जो अपनी अद्भुत गुणों के कारण बाजार में काफी मांग में है। यह हल्दी कई बीमारियों को नष्ट करने के लिए जानी जाती है और इसका उत्पादन पारंपरिक पीली हल्दी की तुलना में थोड़ा अधिक चुनौतीपूर्ण होता है।
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नीली हल्दी की विशेषताएं
नीली हल्दी का रंग सूखने के बाद काला हो जाता है, इसलिए इसे काली हल्दी भी कहा जाता है। यह हल्दी कई बीमारियों को नष्ट करने में सक्षम है और इसके उत्पादन के लिए विशेष प्रकार की मिट्टी की आवश्यकता होती है। इस कारण से, नीली हल्दी की कीमत बाजार में काफी अधिक होती है, और विदेशों में भी इसकी मांग बहुत अधिक है।
नीली हल्दी की खेती
नीली हल्दी की खेती के लिए कई चीजों का ध्यान रखना आवश्यक होता है। इसके लिए उपयुक्त मिट्टी चूर्णीय दोमट मिट्टी होती है। इस हल्दी के खेत में पानी का उपयोग बिल्कुल नहीं किया जाता है, क्योंकि पानी के अधिक होने से यह पीली हल्दी की तुलना में जल्दी सड़ जाती है। इसलिए, अधिकांश लोग नीली हल्दी की खेती ढलान वाले खेतों में करते हैं, ताकि पानी वहां स्थिर न हो और फसल को कोई नुकसान न पहुंचे।
नीली हल्दी की उच्च कीमत
नीली हल्दी बाजार में बहुत अधिक कीमत पर बेची जाती है। किसानों को इस हल्दी से दो तरह से लाभ होता है: पहला, इसे बाजार में अधिक कीमत मिलती है और दूसरा, यह पीली हल्दी की तुलना में कम जमीन में अधिक उपज देती है। इससे कम मेहनत के साथ अधिक उपज प्राप्त होती है। इसकी कीमत बाजार में हमेशा 1000 से 5000 रुपये प्रति किलो के बीच रहती है।