जान लेवा बीमारी जैसे केंसर,प्रेलेशिस अटैक जल्द थकान आना जैसे अन्य बीमारियों से पीड़ित होता किसान?
Pandhurna/संवाददाता गुड्डू कावले पांढुरना:- महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की सीमा पर बसा पांढुरना जिला में प्रतिबंधित कपास बीज बीजी 3 अवैध व्यापार जोर पकड़ रहा है। इस कपास के बीज को देशी भाषा में किसान तन नाशक कपास का बीज कहा जाता है। यह बीज शासन की ओर से महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में प्रतिबंधित है।इस बात को कृषि विभाग के अधिकारी भी भातीभाती जानते है। और यह गोरखाधंधा जिला प्रशासन के सामने हो रहा है?शहर के कृषि केंद्र संचालक अपने तय एजेंटो के माध्यम से शहरी और ग्रामीण अंचलों के किसानों तक पहुंचते है। परन्तु इस बीज से होने वाले बड़े नुकसान के बाद भी किसान स्वयं इस बीज को खेतो में बुआई के लिए उत्साहित होता है। किसान थोड़ा मजदूरी बचाने इस बीज को अवैध रूप से खरीदता है। शासन से प्रतिबंधित होने के पीछे का तर्क यह है की क्षेत्र में खेती में जमीन की उर्वरक शमता को खत्म करता हैं। सात ही पशु पक्षियों के लिए प्राण घातक होता है। दुधारू पशुओं के चारा खाने और उन पशुओं से मिलने वाला दूध बच्चो और आदमी के लिए जान लेवा बताया जाता है।जैसे केंसर,प्रेलेशिस अटैक जल्द थकान आना जैसे अन्य बीमारियों से पीड़ित होना बताया जा रहा है। इतना बुरा असर सामन्न्य दिन चर्या पर होने के बाद प्रशासन मौन है।
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प्रशासन की ओर से होना चाहिए प्रचार प्रसार
क्षेत्र किसान बाहुल्य होने की स्थित में जब यह प्रतिबंधित कपास बीज बीजी 3 अवैध व्यापार पर प्रतिबंध के अलावा जनजागृति होना अनिवार्य है परन्तु कृषि विभाग के अधिकारियो और ग्राम सहायक कर्मचारी अपने साल वंशी में फसल दिर्गावली में पटवारी की मौका स्थल रिपोर्ट में यदि यह बात छुपाई जाति है तो कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए साथ ही क्षेत्र के किसानों को इस बात पर प्रशासन ने प्रचार प्रसार के माध्यम से जागरूक करना चाहिए यदि कोई किसान प्रतिबंधित कपास बीज बीजी 3 अवैध रोपाई करता पाया जाता है तो सबंधित पर कार्यवाही हो ताकि किसान इस बीज क्षेत्र में बुआई नहीं कर सके।
कृषि विस्तार अधिकारी की महत्वपूर्ण भूमिका
शासन द्वारा प्रतिबंध कपास बीज होने के बाद खेतो में कैसे पहुंचता बीज इस पूरे कार्य के पीछे कृषि विस्तार अधिकारी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उनके अधीनस्थ ग्राम सहायक अधिकारी पूरे क्षेत्र का दौरा करे तो यह प्रतिबंध कपास बीज खेतो में बुवाई तो हो ही नहीं परन्तु ग्रामीण अंचलों के कृषि केंद्र संचालकों से मिली भगत यह अवैध कारोबार क्षेत्र में जोरों पर चलता है।इतना ही नहीं महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की सीमा पर बसा होना का फायदा मुनाफा खोरी के चलते यह मात्र 3से4 महा में करोड़ों का व्यापार कर कृषि केंद्र संचालक मोज करते है।
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पिछले दिनों महाराष्ट्र के सतनुर में हुई थी बड़ी कार्यवाही
महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की सीमा पर बसा होना शहर के कृषि केंद्र संचालकों को यह प्रतिबंध कपास बीज महाराष्ट्र के शहरो ग्रामीण अंचलों में पहुंचाना आसान है।परंतु महाराष्ट्र शासन के पुलिस विभाग कृषि विभाग की सयुक्त कार्यवाही में पांढुरना के नमीचीन व्यापारी का लाखो रूपयो का प्रतिबंध कपास बीज पकड़ाया गया था।जहा महाराष्ट्र शासन के कृषि विभाग अधिनियम और पुलिस ने पकड़े गए व्यापारियों को आरोपी बनाया था। इस प्रकार गत दिनों मुलताई रिसोट में पुलिस की छापा मार कार्यवाही पकड़े गए लोग प्रतिबंधित कपास बीज के एजेंट होने की बात सामने आई थी?