आजकल सोशल मीडिया पर संजीवनी बूटी को लेकर काफी चर्चा हो रही है. दावा किया जा रहा है कि ये वही बूटी है जो रामायण में लक्ष्मण को जीवनदान देने के लिए लंका से लाए गए थे. इसे पा लेने से अमरता मिल सकती है. लेकिन क्या वाकई ऐसा है? आइए इस दावे की सच्चाई जानने की कोशिश करते हैं.
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संजीवनी बूटी के बारे में अभी तक बहुत कम जानकारी है. कहा जाता है कि इसका इस्तेमाल आयुर्वेद में कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है, जैसे – यौन रोग, कब्ज, पेट में सूजन, पेशाब संबंधी इंफेक्शन, बुखार और मिर्गी इतना ही नहीं, कुछ जानकारियां ये भी बताती हैं कि इसका इस्तेमाल सफेद पानी, बेरीबेरी और यहां तक कि कैंसर के इलाज में भी किया जाता है. ये खासतौर पर हिमालय की ड्रोणागिरी पर्वत श्रृंखला में चीन की सीमा के पास पाया जाता है.
हालांकि, अभी तक ये स्पष्ट नहीं है कि ये दावा कितना सच है. वैज्ञानिक तौर पर भी संजीवनी बूटी की पहचान नहीं हो पाई है. कई पौधों को संभावित संजीवनी बूटी माना जाता है, जिनमें सेलेजिनेला ब्रायोप्टेरिस (Selaginella bryopteris) एक है.
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अगर आप सोच रहे हैं कि संजीवनी बूटी की खेती करके मोटा मुनाफा कमाया जा सकता है, तो ये भी फिलहाल संभव नहीं दिखता. इसकी खेती के तरीकों और इससे होने वाले लाभ के बारे में अभी और शोध की जरूरत है.