टिंडे की खेती: गर्मी के दिनों में खेती करना मुश्किल होता है. हर किसी किसान के पास सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी की मात्रा उपलब्ध नहीं हो पाती है. इसलिए पुरे खेत में फसल नहीं उगाई जा सकती। ऐसे में किसानो के लिए कम जगह में टिंडे की खेती करना फायदेमंद साबित हो सकती है. बाजार में टिंडे की बहुत डिमांड है. और दाम भी अच्छा मिल जाता है. आइये जानते है टिंडे की खेती के बारे मे.
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टिंडे की उन्नत किस्मे
बाजार में टिंडे की उन्नत किस्मे पूसा सुवेला,पूसा पंचमी,पूसा निशी,सीएसके-1,सीएसके-2,आरके-20 उपलब्ध है.
टिंडे की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी
टिंडा गर्म जलवायु वाली सब्जी है। इसकी अच्छी खेती के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़िया होता है। इसकी खेती के लिए अच्छे निकास वाली, उच्च जैविक तत्वों वाली रेतीली pH 6 से 7 वाली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।
कब और कैसे करे टिंडे की खेती
टिंडे की खेती साल में 2 बार भी की जा सकती है जिसमे बुवाई फरवरी से मार्च के महीने में और दूसरी बुवाई जून से जुलाई तक की जाती है। इसकी बुआई के पहले बीज पानी में 24 घंटे भिगाने के बाद 2 से 3 सेंटीमीटर गहरे और 60 सेंटीमीटर की दूरी 2 से 3 बीज बोएं। और सिंचाई कर दे.
नियंत्रण,सिंचाई और देखभाल
टिंडे की अच्छी पैदावार के लिए खाद और उर्वरक का प्रयोग जरूरी है।गर्मियों में हर 3 से 4 दिन और सर्दियों में 5 से 7 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें।खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए नियमित रूप से निराई-गुड़ाई करें। कीट और रोग इनसे बचाव के लिए उचित उपाय करें।
टिंडे का उत्पादन
टिंडे की कटाई बुवाई के 50 से 60 दिन बाद शुरू हो जाती है, टिंडे की औसत उपज 10 से 15 टन प्रति हेक्टेयर होती है और बाजार में अच्छी मांग और बढ़िया दाम पाकर किसान मालामाल बन सकता है.