अगर आप बेरोजगार हैं और अपना कोई बिजनेस करना चाहते हैं तो आपके लिए ये खबर बहुत उपयोगी है. दरअसल, गांव में ही मिट्टी जांच केंद्र खोलकर अच्छी कमाई की जा सकती है. इसके लिए सरकार अनुदान भी दे रही है. ग्रामीण स्तर पर युवा मिनी लैब खोलकर खुद को सफल बना सकते हैं. जी हां, सरकार इसके लिए अनुदान भी मुहैया करा रही है. तो आइए जानते हैं कि मिट्टी जांच केंद्र खोलने की पूरी प्रक्रिया क्या है…
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मिट्टी जांच क्यों जरूरी है?
बस्ती के मृदा परीक्षण प्रयोगशाला के अध्यक्ष अजय बाबू सिंह का कहना है कि किसानों के लिए मिट्टी परीक्षण एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया है. इसमें कृषि विभाग के कर्मचारी जाकर खेत की मिट्टी लाते हैं और फिर लैब में उसका परीक्षण किया जाता है. मिट्टी परीक्षण के आधार पर किसानों को पता चलता है कि खेत में किस तरह की खाद डालनी चाहिए, ताकि उस मिट्टी में अच्छी पैदावार हो सके. हमें हर साल यूपी सरकार से मिट्टी परीक्षण का लक्ष्य मिलता है.
सरकार दे रही है लैब खोलने का अनुदान
अगर कोई किसान या उसका बेटा बीएससी (कृषि) कर चुका है, तो वह गांव के स्तर पर मिट्टी जांच केंद्र स्थापित कर सकता है. इस योजना के तहत उन्हें ₹2,00,000 का अनुदान भी मिलता है.
लेकिन ध्यान दें, यह अनुदान पहले आओ पहले पाओ के आधार पर ही मिलेगा.
अगर आप भी बेरोजगार हैं तो मिट्टी जांच केंद्र खोलकर इसे अपने बिजनेस का एक बड़ा जरिया बना सकते हैं. इसके लिए कृषि विभाग से एक फॉर्म लेना होगा. आप योजना का लाभ उठा सकते हैं, लेकिन जल्दी करें!
अनुदान दो किस्तों में मिलेगा
बीएससी (कृषि) कर चुके युवाओं के लिए यह एक सुनहरा अवसर है कि वे अपना मिनी लैब खोलकर किसानों की मिट्टी का परीक्षण करें. यह युवाओं के लिए बिजनेस का एक शानदार माध्यम भी है. सबसे पहले, अनुदान का 60 प्रतिशत मिलेगा, उसके बाद लैब खुलने के बाद बैंक के माध्यम से 40 प्रतिशत राशि आएगी.
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ऐसे चुने जाएंगे लाभार्थी
लाभार्थियों को चुनने के लिए एक समिति बनाई गई है. जिसमें जिलाधिकारी, डीडीओ, जिला उद्यान अधिकारी, लैब के अध्यक्ष और कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी शामिल होंगे. फॉर्म जमा करने के बाद, एक तिथि निर्धारित की जाती है, उसी दिन इन लाभार्थियों को बुलाया जाता है और यह समिति, साक्षात्कार लेने के बाद यह तय करती है कि कौन सा लाभार्थी सक्षम है. वर्तमान में इसके लिए फॉर्म कृषि विभाग से प्राप्त किए जा रहे हैं.