आयुर्वेद में सदियों से इस्तेमाल किया जाने वाला औषधीय पौधा अश्वगंधा अपने ढेरों फायदों के लिए जाना जाता है. ये फायदे ही हैं जो इसकी खेती को भी लाभदायक बनाते हैं.
अश्वगंधा के पौधे के बारे में ये दावा तो अक्सर सुनने में आता है कि इसके पत्ते खाने से कभी बीमार नहीं पड़ेंगे. हालांकि, आयुर्वेदिक जड़ी बूटी के तौर पर इसके कई वैज्ञानिक प्रमाणित फायदे भी हैं.
अश्वगंधा के फायदे:
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए: अश्वगंधा में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाते हैं. जिससे सर्दी, खांसी जैसी बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलती है.
- कैंसर से बचाव: माना जाता है कि अश्वगंधा शरीर में रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज (ROS) का उत्पादन करती है. ये रसायन शरीर में मौजूद कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने में मदद करते हैं. साथ ही कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स से भी बचाते हैं.
- मानसिक स्वास्थ्य लाभ: कई अध्ययनों में ये पाया गया है कि अश्वगंधा तनाव और चिंता को कम करने में मददगार है. साथ ही नींद की गुणवत्ता में भी सुधार करती है.
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अश्वगंधा की खेती:
अश्वगंधा की खेती के लिए सबसे पहले इसके बीजों की जरूरत होती है. बीजों को तैयार करने के बाद खेत की साफ-सफाई करके क्यारियां तैयार की जाती हैं. आमतौर पर जून-जुलाई के महीने में इसकी बुवाई का समय होता है. अश्वगंधा का पौधा पूरी तरह से तैयार होने में 3 से 4 साल का समय लग जाता है. इसकी खेती के लिए मिट्टी भुरभुरी होनी चाहिए और बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई की जाती है.