आजकल खेती के साथ-साथ पोल्ट्री फार्मिंग की तरफ भी किसान तेजी से बढ़ रहे हैं. इसमें भी बत्तख पालन एक बेहतर विकल्प के रूप में उभर कर सामने आया है. वैसे तो हमारे देश में ये चलन काफी समय से चला आ रहा है. पहले घरों के आस-पास मौजूद पानी के स्रोतों या तालाबों में बत्तखें पाली जाती थीं, लेकिन अब ये व्यवसाय व्यापारिक रूप ले चुका है. इसकी खास बात ये है कि ज्यादातर लोग इस व्यवसाय को करना पसंद करते हैं. खासकर छोटे और सीमांत किसानों के लिए ये रोजगार का एक बेहतर जरिया बन सकता है. ऐसे में बत्तख पालन से अच्छी कमाई की जा सकती है. आइए इसे 10 बिंदुओं में समझते हैं.
बत्तख पालन को 10 बिंदुओं में समझें
- आसान रख-रख: बत्तख पालन इसलिए आसान है क्योंकि उन्हें ऐसे स्थानों पर भी पाला जा सकता है जहां दूसरे पशुओं को पालना मुश्किल होता है.
- कम आहार खर्च: बत्तखें खेतों, बगीचों, दानों, हरे पत्तों, कीड़ों आदि से बाहर घूमकर अपने भोजन का कुछ हिस्सा खुद जुटा लेती हैं. इससे बत्तख पालकों का खाने पर होने वाला खर्च कम हो जाता है. यही वजह है कि बत्तख पालन सस्ता होता है.
- अधिक बुद्धिमान: मुर्गियों की तुलना में बत्तखों को ज्यादा समझदार माना जाता है.
- आसान देखभाल: कम देखभाल में भी बत्तखों को आसानी से पाला जा सकता है.
- मछली पालन के साथ फायदेमंद: बत्तख पालन के साथ-साथ मछली पालन भी आसानी से किया जा सकता है क्योंकि बत्तखें तालाबों में मौजूद छोटी मछलियों को आसानी से खा लेती हैं.
- सुबह जल्दी अंडे देना: मुर्गियों के उलट बत्तखें सूर्योदय से पहले यानी सुबह 9 बजे से पहले अंडे दे देती हैं. इससे बत्तख पालक को पूरे दिन अंडे इकट्ठा करने से फुर्सत मिल जाती है.
- तालाबों की सफाई: इसके साथ ही बत्तखें मछली पालन के तालाबों में बेकार के पौधों को पनपने से रोकने में भी मदद करती हैं.
- घर में रखने की सुविधा: बत्तखों को सामान्य घरों में भी आसानी से रखा जा सकता है.
- अधिक अंडे देना: बत्तखें लगातार 2-3 साल तक अच्छी संख्या में अंडे देती हैं.
- रोग प्रतिरोधक क्षमता: इसके अलावा बत्तखों में птиओं के रोगों से बचने की भी ताकत होती है. वहीं कम बीमारी होने के कारण दवाओं पर होने वाला खर्च भी कम रहता है.
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एक बत्तख साल में 250 से 300 अंडे देती है
आपको बता दें कि एक बत्तख साल में 250 से 300 अंडे देती है, जो कि मुर्गियों से दोगुना है. वहीं बाजार में इसके एक अंडे की कीमत 9 से 11 रुपये तक मिल जाती है. इसके साथ ही इसके मांस की मांग भी काफी ज्यादा है. लागत की बात करें तो बत्तख पालन के व्यवसाय में बहुत कम पूंजी लगती है. वहीं पशुपालकों को अच्छी आमदनी हो जाती है.