ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुपालन का विशेष महत्व है, उसी में गाय और भैंस पालन को सबसे ज्यादा तरजीह दी जाती है। अगर आप भी किसान हैं और भैंस खरीदने का विचार कर रहे हैं, तो हो सकता है कि आपको हाल ही में भदावरी नस्ल की भैंसों के बारे में कुछ चौंकाने वाली जानकारियां मिली हों।
आज के इस आर्टिकल में हम भदावरी भैंसों से जुड़े कुछ भ्रमों को दूर करेंगे और आपको बताएंगे कि आखिर यह नस्ल आपके लिए लाभदायक साबित हो सकती है या नहीं।
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भदावरी भैंस सबसे ज्यादा दूध देती है
यह दावा पूरी तरह सत्य नहीं है। भारत में कई भैंस की नस्लें हैं, जिनमें से कुछ दूध की मात्रा के लिए जानी जाती हैं। मुरrah जैसी नस्लें औसतन ज्यादा दूध देती हैं। भदावरी भैंस दूध की मात्रा के मामले में औसत दर्जे की मानी जाती हैं, लेकिन उनकी खासियत कुछ और है।
भदावरी भैंसों की खासियत
- दूध में उच्च वसा की मात्रा: भदावरी भैंसों के दूध में वसा की मात्रा 7 से 13 प्रतिशत तक हो सकती है, जो कि अन्य नस्लों के मुकाबले काफी ज्यादा है। इसका मतलब है कि कम दूध में भी आपको अच्छी कमाई हो सकती है क्योंकि वसा वाले दूध के दाम ज्यादा मिलते हैं।
- कम जगह और खाने की जरूरत: भदावरी भैंसें आकार में मध्यम होती हैं और इन्हें कम जगह में भी पाला जा सकता है। साथ ही, इन्हें कम खाने की भी आदत होती है। तो जहाँ गाय या अन्य बड़ी नस्ल की भैंसों को पालना मुश्किल हो सकता है, वहीं भदावरी नस्ल छोटे किसानों के लिए भी उपयुक्त है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता: भदावरी भैंसें आम तौर पर स्वस्थ होती हैं और इनमें रोगों से लड़ने की क्षमता ज्यादा होती है। इसका मतलब है कि पशुओं पर होने वाला खर्च कम हो जाता है।
भदावरी भैंसे कहाँ मिलती हैं?
भदावरी भैंसें उत्तर प्रदेश के आगरा और इटावा जिलों तथा मध्य प्रदेश के भिंड और ग्वालियर जिलों में आसानी से मिल जाती हैं।
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आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए
भैंस पालन एक जटिल काम है और सफलता के लिए अच्छी देखभाल, संतुलित आहार और साफ-सफाई का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। भले ही भदावरी भैंसें कम जगह और खाने में आसान मानी जाती हैं, फिर भी इनकी देखभाल में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।