फलसा एक ऐसा छोटा फल है जिसकी खेती आपके जीवन में बंपर पैदा कर सकती है। इसकी खेती करने से आपको ना सिर्फ अच्छी आमदनी होगी बल्कि कई स्वास्थ्य लाभ भी मिलेंगे. इसकी मांग मार्केट में इतनी ज्यादा है कि मुनाफा होना तय है. आइये जानते हैं फलसा की खेती कैसे की जाती है.
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फलसा के बारे में
फलसा एक मध्यम आकार का पेड़ होता है जो आलूबुखारे के आकार का छोटा फल देता है। यह फल खट्टा, मीठा और रसीला होता है। फलसा की खेती भारत के कई हिस्सों में की जाती है, जैसे मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात। अब ये हिमालयी क्षेत्रों में भी उगाया जाने लगा है। इसकी खेती के लिए 45 से 46 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान उपयुक्त रहता है। इसे ठंड से बचाने की जरूरत होती है। फल पकने के लिए आमतौर पर गर्म तापमान की जरूरत होती है। इसके लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है और इससे अच्छी पैदावार भी होती है। फल लगने के 40 से 45 दिन बाद फल पकने लगते हैं। इन फलों को तोड़ने का समय जून के पहले हफ्ते से शुरू हो जाता है।
मुनाफा कितना होगा?
अगर आप एक एकड़ में इस फसल के 1400-1500 पौधे लगाते हैं तो फलसा को सीधे बाजार में बेचना भी काफी फायदेमंद है। इससे आपको इतना मुनाफा होगा कि गिनते गिनते थक जायेंगे। यह ऐसी फसल है कि एक बार इसकी खेती करने पर आपको लाखों का मुनाफा होगा और आपको कोई और खर्च नहीं करना पड़ेगा। इससे कम से कम 80 से 90 लाख रुपये का मुनाफा तो हो ही जाता है।
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ध्यान देने वाली बातें
फलसा की खेती शुरू करने से पहले जमीन की जांच करवा लें और जरूरत के हिसाब से खाद डालें। इसकी खेती के लिए उपयुक्त सिंचाई व्यवस्था भी बनानी होगी। फलों को तोड़ते वक्त सावधानी बरतें क्योंकि ये जल्दी खराब हो जाते हैं।