आजकल पूरे देश में किसानों के बीच खेती में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है. इसकी मदद से खेती कई गुना आसान हो गई है और किसानों की आमदनी भी बढ़ रही है. सदियों से पारंपरिक खेती करने वाले किसानों के साथ-साथ युवा किसान भी अब आधुनिक तरीकों को अपनाने लगे हैं.
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खीरा लगभग सभी तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है. इसके लिए अच्छी जल निकास वाली दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है, जिसकी पीएच क्षमता 5.5 से 6.7 के बीच होनी चाहिए.
खीरे की बुवाई
खीरे के बीजों में अंकुरण क्षमता अच्छी होती है, इसलिए बीजों को क्यारियों में बोया जाता है, या फिर कम से कम 4 से 5 सप्ताह पुराने पौधों का इस्तेमाल रोपाई के लिए किया जाता है.
पॉलीहाउस में खीरे की खेती के लिए प्रोट्रे का इस्तेमाल किया जाता है. प्रोट्रे को कोकोपीट और वर्मीकम्पोस्ट के मिश्रण से भर दिया जाता है. फिर हर एक गड्डे में एक बीज बोया जाता है. बुवाई के 3 से 4 दिनों में बीज अंकुरित हो जाते हैं, ये पौधे 20 से 25 दिनों में रोपाई के लिए उपयुक्त हो जाते हैं.
खीरे की क्यारी बनाने की विधि
खीरे की खेती क्यारियों पर की जाती है. इन क्यारियों को इस तरह तैयार करना चाहिए:
- क्यारियों की सतह की चौड़ाई 90 सेमी हो.
- दो क्यारियों के बीच की दूरी 50 सेमी हो.
- क्यारियों की ऊंचाई 40 सेमी हो.
मल्चिंग का उपयोग
खीरे की बुवाई के लिए क्यारी बनाते समय मल्चिंग का उपयोग करना फायदेमंद होता है, क्योंकि यह न सिर्फ खरपतवार को नियंत्रित करता है, बल्कि मिट्टी में नमी बनाए रखने में भी मदद करता है.
लेकिन अगर गर्मियों में कोई नई फसल लगानी है, तो मल्चिंग के इस्तेमाल से बचना चाहिए.
रोपण की दूरी
- दो पौधों के बीच की दूरी 60 सेमी हो.
- दो कतारों में 50 सेमी की दूरी हो.
सिंचाई
पॉलीहाउस में सिंचाई भी ड्रिप विधि से की जाती है, जिसमें बूंद-बूंद करके पानी का उपयोग किया जाता है. किसानों ने बताया कि पिछले साल इस तकनीक की मदद से उन्होंने 4 महीने के अंदर खीरे लगाकर 18 लाख रुपये कमाए हैं.
खीरे की खेती के विशेष तरीके
पॉलीहाउस में उगाई गई खीरे की बेलों में बहुत बड़े पत्ते होते हैं. ये तेजी से बढ़ती हैं और इसके लिए उन्हें काफी धूप की जरूरत होती है. इसलिए, बेलों की पत्तियों को पर्याप्त धूप मिल सके, इसके लिए ग्रीनहाउस में खीरे के पौधों की छंटाई और उन्हें सहारा देना आवश्यक है.
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खीरे की फसल को तार की मदद से उगाया जाता है, जब खीरे की बेल ऊपरी तार तक पहुंच जाती है, जो कि क्यारी के समानांतर होती है, तो खीरे की बेल के सिरे को काट दिया जाता है और एक छतरी का निर्माण किया जाता है.
जब खीरे की बेल के तने पर एक या दो पत्तियां निकलती हैं, तो मुख्य तने (ऊपरी भाग) के बढ़ते हुए हिस्से को हटा दिया जाता है. फिर ऊपरी तार के दोनों तरफ की शाखाओं को फैलाया जाता है. इसके बाद उन्हें नीचे की ओर बढ़ने दिया जाता है. जब ब