जिस जगह पर कुत्ते भी घूमने से डरते है वहां हो रही इस अनोखी सब्जी की खेती बना देती है सेठ करोड़ीमल जाने कैसे

By Karan Sharma

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जिस जगह पर कुत्ते भी घूमने से डरते है वहां हो रही इस अनोखी सब्जी की खेती बना देती है सेठ करोड़ीमल जाने कैसे

बिहार के सहरसा जिले में, जहां कभी डियारा क्षेत्र जाना खतरे से खाली नहीं माना जाता था, वहां के किसान अब परवल की खेती कर एक अलग कहानी लिख रहे हैं। इस क्षेत्र से अब बड़े पैमाने पर परवल की मांग आ रही है। दरअसल, परवल की खेती डियारा क्षेत्र में अक्सर की जाती रही है। यही वो डियारा क्षेत्र है, जहां कभी बंदूकें चलती थीं, लेकिन अब वहां लहराते हुए परवल के पौधे देखे जा सकते हैं।

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हम बात कर रहे हैं सहरसा मानसी रेलवे खंड के धमारा घाट रेलवे स्टेशन के पास के डियारा क्षेत्र की। यहां के लोगों का कहना है कि पहले इस इलाके में गोलियों की गूंज सुनाई देती थी, लेकिन अब इस डियारा क्षेत्र के किसानों ने बड़े पैमाने पर परवल की खेती को अपनाया है। अब गोलियों की आवाज तो दूर की बात है, यहां सिर्फ हरे पत्तों की खुशबू ही आती है।

परवल की खेती से होने वाले मुनाफे ने किसानों को चिलचिलाती धूप में भी खेतों तक खींच लिया है। परवल की खेती यहां के लोगों के लिए आय का मुख्य जरिया बन चुकी है। अच्छी कमाई के चलते गांव के कई किसान डियारा में परवल की खेती से जुड़ रहे हैं। यही वजह है कि इस क्षेत्र का परवल एक बड़ा ब्रांड बन गया है। इसकी मांग न सिर्फ सहरसा में बल्कि आसपास के खगड़िया, बेगूसराय, मधेपुरा, सुपौल, मुंगेर जिलों में भी है।

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क्षेत्र के लोगों का कहना है कि हर साल इस इलाके में 400 बीघा जमीन पर परवल की खेती की जाती है और अच्छी कमाई भी होती है। लालू कुंड, जो डियारा क्षेत्र में परवल की खेती कर रहे हैं, का कहना है कि हम शुरू से ही परवल की खेती कर रहे हैं। इस इलाके के बाजारों में परवल की बहुत मांग है।

व्यापारी खुद खेत पर आकर यह परवल खरीदते हैं, वहीं हम भी बाजारों में जाकर परवल बेचते हैं। इससे अच्छी कमाई हो जाती है। हमें इस खेत में ही रहना पड़ता है, इस इलाके के ज्यादातर किसान सिर्फ परवल की खेती ही करते हैं।

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